Bhopal Gas Tragedy: गैस त्रासदी के सैकड़ों पीड़ित खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर, क्यों ढहाए जा रहे उनके मकान
रेलवे की जमीन पर रह रहे भोपाल गैस पीड़ितों के परिवार अब खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं. रेलवे द्वारा उनके घरों को तीन दिन पहले तोड़ा गया है. रेलवे के कार्रवाई पर पीड़ित परिवारों ने नाराजगी जताई है.
MP News: मध्य प्रदेश की राजधानी के गैस पीड़ित परिवारों द्वारा रेलवे की जमीन पर बनाए गए मकानों को ढहाया जा रहा है. सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जो इस ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. रेल्वे विभाग और गैस राहत विभाग के साथ नगर निगम के रवैए पर पीड़ित परिवारों ने नाराजगी जताई है.
खुले आसमान में रह रहा परिवार
बताया गया है कि भोपाल में वर्ष 1984 में हुए गैस पीड़ितों के अनेक परिवार गैस संयंत्र के पीछे स्थित अन्नू नगर और श्री राम नगर की भूजल प्रदूषित बस्तियों में निवासरत थे, रेलवे द्वारा उनके घरों को तीन दिन पहले तोड़ा गया है. यह परिवार बढ़ती ठंड के बीच खुले में रहने को मजबूर हैं. भोपाल ग्रुप ऑफ इनफार्मेशन की रचना ढींगरा ने बताया है कि अन्नू नगर के 356 घरों और न्यू आरिफ नगर के 300 घरों को अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे विभाग द्वारा नोटिस दिया गया था.
वर्ष 2010 में मंत्रियों के समूह ने भूजल संदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों को सुरक्षित आवास प्रदान करने के लिए 40 करोड़ रुपये स्वीकृत और आवंटित किए. गैस राहत विभाग के पास 39.36 करोड़ रुपये की राशि अभी भी बगैर उपयोग के पड़ी है.
नहीं की जा रही मदद
ढींगरा के मुताबिक, रेलवे विभाग ने पूर्व में नोटिस जारी किया और अब इन मकानों को ढहा दिया गया है. जिन लोगों के मकान तोड़ दिए गए है, वे खुले आसमान के नीचे अपने बच्चों और परिवार के साथ पड़े हुए हैं. गैस राहत विभाग इन परिवारों की समस्याओं से बेखबर बना हुआ है और उनकी मदद के लिए अब तक आगे नहीं आया है.
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