Bhopal News: कविता किसी से पूछ कर नहीं लिखी जाती. किसी के लिए नहीं लिखी जाती और ना किसी को लिहाज कर लिखी जाती. कविता तो उतरती है. कविता को किसी पैमाने पर नापा नहीं जा सकता. कविता तो गूंगे का गुड है. बस अच्छी लगती या बुरी लगती है. इसके अलावा कविता पर कुछ कहना मुश्किल होता है. कविता को वही समझ सकता है, जिसके मन में प्रेम होगा. प्रेम ना करने वाले लोग ना तो कविता को समझ सकते हैं और ना कविता लिख सकते हैं.


रफूगरी प्रेम में पगी किताबों की किताब है जो भोपाल में रहने वाली कवयित्री ममता तिवारी की ग्यारह साल की मेहनत का संकलन है. ये बात पद्मश्री और व्यंग्यकार डॉ ज्ञान चतुर्वेदी ने आज भोपाल में ममता तिवारी की कॉफी टेबल किताब रफूगरी के विमोचन में कही. उन्होंने कहा कि ये जीवन रफूगरी की कला है. यदि आपको रफूगरी की कला आती है तो अच्छा जीवन होगा. नहीं तो छेद और गठानें दिखती रहेंगी. 


डॉ ज्ञान चतुर्वेदी ने कही ये बात


डॉ ज्ञान चतुर्वेदी ने कहा, 'आज आपने जो गलती की, कल उसे ऐसी रफूगरी कीजिये कि वो छेद ना दिखे. आज इस बुरे वक्त में समाज को रफूगरी करने वालों की बहुत जरूरत है. कलाकार और साहित्यकार इस काम को करते रहते हैं इसलिए उनको समाज की जरूरत हमेशा बनी रहेगी.' किताब पर डॉ ज्ञान चतुर्वेदी ने कहा कि ममता तिवारी प्रेम की कविताएं बेहतर तरीके से लिखती हैं. उनके प्रेम को उनकी कविता में महसूस किया जा सकता है और यही बात उनको दूसरों से अलग बनाती हैं.


एक्टर राजीव वर्मा ने किया कविताओं का पाठ 


इस मौके पर रंगकर्मी और एक्टर राजीव वर्मा ने रफूगरी की कविताओं का पाठ किया और कहा कि आज समाज में रफूगरी की जरूरत है. हम रोज अपने संबंध बिगाड़ते हैं. मगर उनको रफूगरी करिये. रफूगरी की कविताएं जिंदगी जीना सिखाती हैं. ममता तिवारी लंबे समय से कविताएं कर रहीं हैं. ये उनकी ग्यारहवीं किताब है, जिसमें पुरानी किताबों की कविताओं को भी शामिल किया गया है. सुंदर रेखाचित्रों से सजी इस किताब को उन्होंने अपने पति संजय तिवारी का सपना बताया. इस मौके पर भोपाल के अनेक साहित्यकार, रंगकर्मी और पत्रकार मौजूद थे.


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