Use of Contraceptive Pills: कोरोना ने मध्य प्रदेश के लोगों की सेक्स लाइफ में भी काफी असर डाला है. चिकित्सकों की मनाही के बावजूद गर्भ रोकने वाली गोलियों का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इसमें मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और व्यवसायिक राजधानी इंदौर सबसे आगे है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लोग कोरोना के भय की वजह से किसी भी कीमत पर अस्पताल जाने को तैयार नहीं हैं.
पिल्स की बिक्री के आंकड़ों में उछाल
मध्य प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के परिवार कल्याण विभाग की ओर से जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह चौंकाने वाले हैं. अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच ईजी पिल्स गोली की बिक्री का आंकड़ा 80563 और छाया टेबलेट की बिक्री का आंकड़ा 32518 पर था. वहीं अप्रैल से मार्च 2021 तक यह आंकड़ा 122683 (ईजी पिल्स) और 50448 (छाया) तक पहुंच गया. इसी तरह लगातार आंकड़ों में उछाल आ रहा है. सबसे खास बात यह है कि गर्भ रोकने वाली गोलियों का इस्तेमाल भोपाल और इंदौर में सबसे ज्यादा हो रहा है.
लोगों के बीच अस्पताल जाने को लेकर भय
इंदौर के शासकीय चिकित्सक आर.एस जाट के मुताबिक कोरोना की पहली और दूसरी लहर में जिस प्रकार लोगों की मौत का आंकड़ा सामने आया उससे लोगों में अस्पताल के प्रति भी काफी भय व्याप्त हो गया है. इसी वजह से लोग अस्पताल जाने से बचते रहे. इस दौरान लोगों की सेक्स लाइफ में भी काफी बदलाव आया है. खास तौर पर गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग बढ़ा है. जबकि लगातार इन गोलियों को लेने से महिलाओं को नुकसान पहुंचता है. चिकित्सक के मुताबिक ईजी पल्स को नियमित रूप से लेने की मनाही है. इससे हार्मोन डिसबैलेंस हो जाते हैं.
कंडोम की बिक्री में भी कमी आई
शासकीय अस्पतालों में परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए निशुल्क रूप से कंडोम उपलब्ध कराए जाते हैं. लेकिन लोग भय की वजह से अस्पताल भी नहीं पहुंच रहे हैं. इसके अलावा मेडिकल स्टोर पर भी परिवार नियोजन के साधनों की बिक्री में कमी आई है. मेडिकल व्यवसाई सुनील दास के मुताबिक कंडोम की बिक्री में 20 फीसदी की कमी आई है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान लोग मेडिकल स्टोर पर भी जाने से बचते रहे. यही कारण है कि लोगों की सेक्स लाइफ पर भी कोरोना का सीधा असर पड़ा है.
नसबंदी में भी आई कमी
कोरोना की वजह से नसबंदी पर भी बुरा असर पड़ा है. कोरोना काल के दौरान नसबंदी कराने वाले की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है. पूरा मेडिकल स्टॉफ कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान व्यस्त रहा. इसके अलावा नसबंदी को लेकर जागरूकता अभियान पर भी फर्क पड़ा. परिवार नियोजन के तहत चलाए जाने वाले कार्यक्रम भी लगातार नहीं चल पाए.
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