Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के तहत 75 साल पूरे होने पर बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) भोपाल (Bhopal) में खुद जिस स्कूल में पढ़े थे उस मॉडल स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए 1 दिन के लिए शिक्षक बने. सीएम ने यहां आजादी के अमृत महोत्सव के तहत उन बच्चों को तिरंगा अभियान (Har ghar tiranga campaign) के तहत शिक्षक बनकर कहानी सुनाई और पढाया भी. मुख्यमंत्री ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी का 75वां वर्ष वैभव शाली है. हम गौरवशाली संपन्न और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर रहे हैं. आज भारत का मान-सम्मान पूरी दुनिया में है.
सीएम ने हर घर तिरंगा फहराने को कहा
सीएम ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आह्वान किया है कि आजादी के अमृत महोत्सव को उत्साहपूर्वक मनाएं और हर घर तिंरगा फहराएं. मुख्यमंत्री ने अपने पहले पाठ की शुरूआत भारत के प्राचीन इतिहास के वर्णन से शुरू की थी जिसमें उन्होंने बच्चों को बताया कि अपना देश अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है और हमारा पांच हजार साल से ज्यादा का ज्ञात इतिहास है. जब दुनिया के विकसित देशों में सभ्यता के सूरज का उदय नहीं हुआ था तब हमारे देश में वेदों की रचना हो गई थी.
क्रांतिकारियों के जीवन से प्रेरणा लें-सीएम
सीएम ने कहा कि, तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय हमारे यहां थे जहां पढ़ने दुनिया के अनेक देशों के विद्यार्थी आया करते थे. अनेक विदेशी यात्रियों ने इसे इतिहास में लिखा है. हमारे ग्रंथ दुनिया के कई देशों में गए. तब हम राज्यों में अलग-अलग बंटे हुए होते थे लेकिन सांस्कृतिक रूप से भारत एक था. क्रांतिकारियों के जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेना चाहिए.
देश के लिए जीने की है जरूरत-सीएम
सीएम ने कहा कि, आज देश के लिए जीने की जरूरत है. यह विचार हमारे मन में सदैव रहना चाहिए और देश की सेवा हर तरह से की जा सकती है. हम जो भी करें देश हित को ध्यान में रखकर करें. पिंगली वेंकैया जी इस राष्ट्रीय ध्वज के रचनाकार थे. उनके पिताजी का नाम हनुमत था. वे महात्मा गांधी जी से प्रेरणा पाकर स्वतंत्रता सेनानी बने. पिंगली जी को मैं प्रणाम करता हूं.
बच्चों से खेलने-कूदने को कहा
वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी बताया कि मैंने बचपन में श्रमिकों की मजदूरी बनवाने हेतु आंदोलन किया और मजदूरों के साथ नारा लगाया कि ढाई पाई नहीं पांच-पाई लेंगे नहीं तो काम नहीं करेंगे. लोगों का जीवन बदलने की मन में तड़प थी इसलिए सेवा को ध्येय बना लिया. उन्होंने बच्चों से यह भी कहा कि आप पढ़ाई के साथ खूब खेलो कूदो भी, खेलना केवल मेडल के लिए ही नहीं है बल्कि स्वास्थ्य और आनंद के लिए भी खेलना चाहिए. इसके साथ ही राष्ट्र और समाज की उन्नति में योगदान देने वाले कार्य करें.
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