MP News: संध्या भिलाला एक ऐसी महिला जिसने समाज की रुढियों, कुरीतियों और परम्परों से पार पा अपना लक्ष्य को हासिल किया. संध्या भिलाला बचपन से ही अपने आपको एक योद्धा के रूप में देखती थीं. वह भारतीय सेना शामिल हो देश की सेवा करना चाहती थीं. जिसके लिए उन्होंने पूरे लगन, कड़ी मेहनत से सशस्त्र सीमा बल तक सफ़र किया. वह लोगों की नज़रों में तब आयीं जब वह पिछले दिनों अपना प्रशिक्षण पूरा कर घर लौटी थीं. जिसके बाद गाव वालों नें ढोल, तिलक और फूलों के साथ उनका स्वागत किया. उनकी यह विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी. 


कौन है संध्या बिलाला
संध्या भिलाला मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की रहने वाली हैं. उनके पिता देवचंद भिलाला पेशे से एक किसान हैं. संध्या ने अपने कॉलेज की पढाई पूरी करने के लिए खेतों में काम करती थीं और पार्ट टाइम टीचिंग की जॉब करती थीं. बचपन से ही वह सशस्त्र सीमा बल में जाना चाहती थीं. उनके लिए अपने सपनों को हकीकत में बदलने की लिए हालत तब और मुश्किल हो गए, जब उन्हें पहले दो प्रयास में असफलता मिली. जबकि अपने तीसरे प्रयास में 20 अप्रैल 2021 में, वह सशस्त्र सीमा बल में चयनित होने में सफलता अर्जित की. 14 दिसंबर को वह अपना बुनियादी प्रशिक्षण पूरी कर पहली बार गावं लौटी थीं. 


ऐसे मिली सफलता 
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक- संध्या भिलाला ने अपनी सफलता को लेकर कहा कि मुझे अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए सबसे पहले मुझे अपने आपसे संघर्ष करना था. मैंने अपने खर्चों के लिए अपने पिता के साथ खेतों में काम किया और साथ ही एक प्राइवेट स्कूल में टीचिंग का कार्य किया. उन्होंने आगे कहा इस सफलता में मेरा-पिता का बड़ा योगदान रहा. उन्होंने हर समय मेरा साथ दिया, उस समय भी वह मेरे साथ खड़े रहे जब मैं असफल हो गयी थी. हालाँकि मेरे असफलता के बाद कुछ रिश्तेदारों ने मेरी माता-पिता से मेरी शादी कर देने को कहा, लेकिन मेरे माता-पिता चट्टान की तरह अडिग रहे. उन्होंने अपनी तैयारी के समय को याद करते हुए कहा कि, उन्होंने सशस्त्र सीमा बल में सफल होने के लिए कड़ी शारीरिक मेहनत की, जिसके लिए वह हर सुबह उठ कर दौड़ने जाया करती थीं. 
गावं में मेरे दोस्तों को यकीन नहीं था कि महिलाएं सशस्त्र सीमा बल में ही कैरियर बना सकती हैं. लेकिन मेरी इस सफलता से उनके लिए रहें आसन हुयी हैं. 


सफलता के बाद ऐसे स्वागत किया गावं वालों ने 
संध्या 14 दिसंबर को जब प्रशिक्षण पूरी कर सशस्त्र सीमा बल के वर्दी में गाव लौटीं, तो गावं वालों ने उनका भव्य स्वागत किया. जहां गावं वालों ने उनका स्वागत ढोल, तिलक और फूलों के साथ किया. गावं वालों नें उन्हें घोड़े पर बैठा कर पूरे गावं में जुलूस निकाला. संध्या गावं वालों के जरिये इस तरह के स्वागत पर कहा कि, "लोगों के इस अंदाज को देख कर मं भाव-विभोर हो गयी. लोगों ने मुझे घोड़े पर बैठाया, इससे पहले मैं घोड़े पर कभी नहीं बैठी थी. लोगों ने खूब जय-जयकार के नारे लगाये. कई परिवारों ने अपने घरों में मेरा स्वागत किया. 


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