Minto Hall: जानिए 1909 में बने भोपाल के मिंटो हॉल का इतिहास, जिसका अब बदल चुका है नाम
शुक्रवार को बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक भोपाल के मिंटो हॉल में चल रही थी. बैठक खत्म होने से पहले ही सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस हॉल का नाम बदलने का एलान कर दिया और नए नाम की घोषणा कर दी.
Minto Hall New Name: भोपाल के प्रसिद्ध मिंटो हॉल में शुक्रवार को चल रही बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति बैठक के खत्म होने के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उस हॉल का नाम बदल कर कुशाभाऊ ठाकरे हॉल किया तो उस विवाद का अंत हो गया जो पिछले कुछ दिनों से भोपाल में गर्म था. दरअसल 1909 में नवाब कालीन इस इमारत को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो के नाम पर चौथी बेगम सुल्तान जहां ने बनवाया था. उस दौर में इसकी लागत तीन लाख रुपए की आई थी. मज़े की बात ये कि लॉर्ड मिंटो ने तब की लाल कोठी के सामने इस बिल्डिंग की आधारशिला ही रखी थी. वो कभी यहां ठहरने नहीं आ सके.
इस इमारत के बनने के बाद इस दर्शनीय भवन का उपयोग कभी दरबार हॉल तो कभी हमिदिया कॉलेज तो कभी विधानसभा के तौर पर हुया. भोपाल में नई विधानसभा बनने के बाद से तो यहां फिल्मों और सीरियल की शूटिंग होती रही. मगर पिछले कुछ सालों में मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने इसे पैसा खर्च कर कन्वेंशन सेंटर के रूप में विकसित किया.
भोपाल की पहचान ये मिंटो हॉल भी अब बीजेपी सरकार की नाम बदलो अभियान की चपेट में आ गया. पहले हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन हुआ तो फिर शहर के हबीबगंज थाने के नाम को बदलने की मुहिम शुरू हो गई. इस बीच में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर के पास पातालपानी स्टेशन का नाम तांत्या भील के नाम करने का एलान किया तो अचानक इस हॉल के नये नाम लोग सुझाने लगे.
पहले भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने इसे सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक हरी सिंह गौर के नाम पर रखने की मांग की तो पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने इसे वीर सावरकर के नाम पर रखने का सुझाव दिया. कांग्रेसी सांसद विवेक तन्खा ने इसके लिये पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा का नाम सुझाया. मगर कार्यसमिति के आखिरी भाषण ने बेहद नाटकीय तरीके से भाजपा के पितृ पुरुष कुशभाऊ ठाकरे ने नाम पर इस हॉल का नाम रखकर अटकलों को विराम दिया और अब बीच भोपाल में क़रीब पंद्रह एकड़ में बना मिंटो हॉल कुशाभाऊ ठाकरे हॉल कहलाएगा.
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