Bhopal News: सीहोर जिले के नसरुल्लागंज की नेहा को उसकी मौत के दो महीने बाद न्याय मिल गया है. स्वास्थ्य विभाग ने नसरुल्लागंज के इम्होटेप अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है. साथ ही इस निजी अस्पताल प्रबंधन को एक सप्ताह का समय दिया है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को अन्य जगह शिफ्ट किया जाए. इस मामले को एबीपी न्यूज ने प्रमुखता से उठाया था.


पांच सदस्यीय टीम ने किया था अस्पताल का निरीक्षण


बता दें अब से दो महीने पहले प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने नेहा को नसरुल्लागंज के इम्होटेप अस्पताल में भर्ती किया था. इलाज में लापरवाही बरतने की वजह से नेहा की हालत गंभीर हो गई थी और गंभीर स्थिति में ही अस्पताल प्रबंधन ने आनन-फानन में प्रसूता नेहा को राजधानी भोपाल के लिए रेफर कर दिया था, जहां नेहा की मौत हो गई थी. इसके बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए इंदौर-भोपाल हाईवे पर धरना दिया था. प्रशासन से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद धरना समाप्त हुआ था. प्रशासन की पांच सदस्यीय टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया था, इस टीम को इम्होटेप अस्पताल में 11 खामियां मिली थी, जिसके बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है.


अस्पताल में मिलीं 11 खामियां


जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय (सीएमएचओ) से 18 जनवरी 2023 को आदेश जारी कर बताया गया कि डॉ. शुभांकर बर्मन इम्होटेप हॉस्पिटल का जिला स्तरीय निरीक्षण समिति ने इम्होटेप नर्सिंग होम का तीन दिसंबर 2022 को औचक निरीक्षक किया तो 11  खामियां पाई गईं. इस खामियों को लेकर कारण बताओ पत्र जारी करते हुए जवाब के लिए एक माह का समय दिया गया था. जिसके बाद 29 दिसंबर 2022 को जवाब जिला कार्यालय को मिला. जवाब से जिला स्तरीय निरीक्षण समिति संतुष्ट नहीं हुई.


आईसीयू में काम कर रहा था बीएचएमएस डॉक्टर


समिति ने जांच प्रतिवेदन में बतायाअस्पताल का स्टाफ पूर्ण रूप से प्रशिक्षित नहीं है. एक्स रे तकनीशियन से आईसीयू में कार्य कराया जा रहा है जो कि एक गंभीर अनियमितता है. आईसीयू/पोस्टमार्टम वार्ड में बीएचएमएस चिकित्सक से काम काराया जा रहा है. वीरेन्द्र राजपूत जो कि नर्सिग स्टाफ है जिनके काउंसिल का पंजीयन की वैद्यता समाप्त हो चुकी है. समिति ने बताया है कि अस्पताल के संचालक ने नेहा के इलाज में लापरवाही की .लाइसेंस निरस्त करने के बाद आदेश में एक हफ्ते में अस्पताल में भर्ती मरीजों के अन्य हॉस्टिपल में स्थानांतरित  करना सुनिश्चित करने को कहा गया है.


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