MP News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के फिल्टर प्लांट से गैस रिसाव के मामले के चार दिन बाद भी मदर इंडिया कालोनी में दहशत बनी हुई है. यहां रहने वाले लोग अब इस कॉलोनी के नलों से पानी न भरते हुए अन्य जगह से पेयजल का इंतजाम कर रहे हैं. इतना हीं नहीं गैस रिसाव से पीडित नसीम शेख उम्र 30 साल, संगीता सुरेखा सहित अन्य पीड़ितों का कहना है कि उन्हें अस्पताल से जबरन छुट्टी दे दी गई, जबकि उन्हें आंखों में जलन, पेट में जलन और पल्स भी बढ़ रही है. पीडितों ने बताया कि अब तक उनकी सुध लेने जनप्रतिनिधि और न ही प्रशासन का कोई अफसर पहुंचा है.


गौरतलब है कि राजधानी भोपाल के ईदगाह हिल्स स्थित मदर इंडिया कालोनी में 26 अक्टूबर की रात फिल्टर प्लांट से क्लोरीन गैस का रिसाव हो गया था. इससे हड़कंप की स्थिति बन गई थी और लोगों की गैस कांड की यादें ताजा हो गई थी. जिससे लोग दहशत में आ गए थे. गैस के रिसाव से टीआई, पुलिस कर्मी सहित कई लोग प्रभावित हुए थे. जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था इन लोगों को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत आ रही थी.


Jabalpur News: खेल मंत्री यशोधरा सिंधिया ने की बीसीसीआई के फैसले का स्वागत, कहा- महिला समानता को मिलेगा बढ़ावा


लोगों में है दहशत का माहौल
इस घटना के बाद लोग अब भी दहशत में है. इस कालोनी में करीब 60 से 70 परिवार रह रहे हैं लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि लोग अब भी इस कालोनी में नलों से पानी नहीं भर रहे हैं. पेयजल की पूर्ति के लिए अन्य क्षेत्रों पर निर्भर है. वहीं जो लोग इस गैस की वजह से बीमार हुए थे उन्होंने बताया कि अस्पताल से जबरन छुट्टी कर दी गई है, जबकि उन्हें आंखों में जलन पेट में जलन और हाथ पैर दुखने की शिकायत अब भी हो रही है. लोगों ने बताया कि अब तक न तो जनप्रतिनिधि न ही किसी अफसर ने पहुंचकर उनकी सुध ली है.


मदर इंडिया कालोनी में करीब 60 से 70 परिवार निवास करते हैं. यहां लोगों ने बताया कि वे इस कालोनी में लगभग 35 सालों से निवासत कर रहे हैं, सभी मजदूर परिवार है और मजदूरी कर ही अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. गैस रिसाव का डर उनके मन से अब तक गया नहीं है अपने परिवार की चिंता को देखते हुए वे लोग मजदूरी पर भी नहीं जा पा रहे हैं.


नाले के रास्ते बस्ती में पहुंचा जहरीला पानी
ईदगाह हिल्स में नगर निगम का फिल्टर प्लांट लगा है. यहां पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन गैस के सिलेंडर रखे हुए हैं. 26 अक्टूबर को पानी को प्यूरीफाइड किया जा रहा था इसी बीच एक सिलेंडर के नोजल में खराबी आई और गैस का रिसाव होने लगा. गैस हवा में न फैले इसलिए 900 किलोग्राम क्षमता के सिलेंडर को पानी के टैंक में डाल दिया गया यही पानी नाले के रास्ते बस्ती में पहुंच गया. इससे नाले किनारे रहने वाले लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत होने लगी थी. हालांकि फिल्टर प्लांट में हर आधे घंटे में पांच-पांच किलो कास्टिक सोडा डालकर क्लोरीन गैस को निष्क्रिय किया गया था इसके बाद स्थिति नियंत्रित है.