MP News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लगातार बाइक चोरी की घटनाएं बढ़ती जा रही थी. रोजाना बाइक चोरी की रिपोर्ट थानों में दर्ज की जा रही थी. पुलिस के लिए बाइक चोर गिरोह को पकड़ना भी एक बड़ा चुनौती माना जा रहा था, लेकिन पुलिस मुख्यालय से मिले निर्देश के बाद से भोपाल शहर के तमाम थानों में थाना प्रभारी द्वारा चेकिंग पॉइंट लगाकर चेकिंग अभियान शुरू कर दिया. इसी दौरान अशोका गार्डन पुलिस वाहन चेकिंग कर रही थी. इस दौरान पुलिस को देखकर दो युवक बाइक लेकर भागने लगे. पुलिस को इन लोगों पर शक हुआ और घेराबंदी करके दोनों बाईक सवार को पकड़ लिया. पुलिस आरोपियों को थाने लाकर पूछताछ कर रही है.
दरअसल, थाना में व्ही डी पोर्टल के माध्यम से उक्त वाहन की चेकिंग की गई. जिसके बाद यह पता चला कि उक्त वाहन थाना अशोका गार्डन से पूर्व में चोरी की गई थी. दोनों आरोपियों की पहचान अमित राठौर उर्फ अंतिम और धर्मेंद्र सिंह के रूप में हुई. यह दोनों आरोपी भोपाल के रहते हैं. इन आरोपियों से पहले पुलिस ने मोटरसाइकिल के कागजात मांगे. जिसके बाद आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उनके पास गाड़ी के कागजात नहीं हैं. पुलिस ने दोनों आरोपियों से सख्ती से पूछताछ की. पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने करीब 10 गाड़ियां थाना अशोका गार्डन से चोरी करने की बात कबूल की.
बाइक चोरी करने का जुर्म कबूला
आरोपी अमित राठौर उर्फ अंतिम और धर्मेन्द्र सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश किया गया. कोर्ट ने आरोपियों चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया. रिमांड के दौरान दोनों आरोपियों द्वारा भोपाल जिले के थाना अशोका गार्डन, थाना बजरिया, थाना मंगलवारा, थाना हनुमानगंज, थाना गोविंदपुर, थाना कोहेफिजा, थाना टीटी नगर, थाना एमपी नगर क्षेत्र और इंदौर जिले से चोरी करने की बात कबुल की.
आरोपियों ने करीब 37 बाइक चोरी करने का जुर्म कुबुल किया है. आरोपियों ने बताया की हमने दीपक रघुवंशी नि. ग्राम खिरिया जागीर थाना हैदरगढ़ जिला विदिशा और किशन सेन नि. ग्राम खिरिया जागीर थाना हैदरगढ़ जिला विदिशा और दिनेश चौरिया नि.ग्राम अमरपुरा थाना सिद्दीकगंज जिला सीहोर को करीब 20 बाईक बेचने के लिए दिए थे. पुलिस ने यह भी बताया है कि अन्य बाइक के संबंध में भी महत्वपूर्ण सुराग हासिल हुए हैं जिसकी सूचना के आधार पर अन्य वाहनों की बरामदगी के प्रयास जारी है.
टीआई आलोक श्रीवास्तव ने क्या कहा?
टीआई आलोक श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि धर्मेंद्र का इंदौर में ढाबा था. किशन यहां शराब सप्लाई का काम देखता था, जबकि अमित वेटर था लॉकडाउन लगा तो धर्मेंद्र ने ही किशन और अमित का पूरा खर्च उठाया था. इस दौरान धर्मेंद्र का कर्ज बढ़ गया और ढाबा भी बंद हो गया इसके बाद दोस्त का कर्ज उतारने के लिए धर्मेंद्र और किशन ने इंदौर में वाहन चोरियां शुरू कर दी थी. वाहन बिकने पर मिली राशि का कुछ हिस्सा अपने पास रख कर दोनों आरोपी बाकी पैसा धर्मेंद्र को ट्रांसफर कर देते थे. इसके बाद दोनों भोपाल आ गए और यहां भी चोरियां करते रहे. पकड़े गए आरोपी नशे और नॉनवेज के शौकीन हैं.
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