Science-20 Conference In Bhopal: भोपाल (Bhopal) में जी-20 अंतर्गत साइंस-20 के दो दिवसीय सम्मेलन का आगाज शुक्रवार को हुआ. इसके शुभारंभ सत्र की अध्यक्षता भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (Indian National Science Academy) के अध्यक्ष प्रो. आशुतोष शर्मा ने की. सम्मेलन के शुभारंभ में मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रोद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव उपस्थित भी रहे. भोपाल के ताज होटल में कनेक्टिंग साइंस टू सोसायटी एंड कल्चर थीम पर आयोजित सम्मेलन में जी-20 देशों, आमंत्रित राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के वैज्ञानिक समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हुए.
भोपाल के ताज होटल में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए अध्यक्ष प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि विज्ञान का लक्ष्य समाज के साथ मिलकर अधिक संवहनीय, समावेशी और न्यायसंगत भविष्य का निर्माण करना है. प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि विज्ञान और संस्कृति परस्पर जुड़े हुए हैं. संस्कृति, वैज्ञानिक शोध की दिशा और सीमाओं का निर्धारण करती है. वैज्ञानिक अनुसंधानों को महत्व प्रदान करने का कार्य समाज द्वारा किया जाता है. वर्तमान वैश्विक परिवेश में विचारों का आदान-प्रदान, आपसी समझ और सामाजिक हितों के प्रति सतर्कता, भविष्य में सहयोगात्मक और साझे विकास के लिए अहम है.
बढ़ानी होगी महिलाओं की सहभागिता
सम्मेलन में इंडोनेशिया के प्रो. अहमद नजीब बुरहानी ने समावेशी वैज्ञानिक विकास के लिए समाज के सभी अंगों विशेषकर महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए वैश्विक समुदाय को प्रयास करने की बात कही. प्रो. बुरहानी ने कहा "संवहनीय विकास के लिए परंपरागत आजीविका व्यवहारों की पहचान और विकास मॉडल में उनका यथोचित उपयोग किया जाना चाहिए."
उन्होंने इंडोनेशिया के मेडिसिनल प्लांट परंपरागत कृषि पद्धति और समुद्री इकोसिस्टम को संरक्षित कर मत्स्यपालन के परंपरागत सासी पद्धति का उल्लेख किया. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के विचार मानवता के बिना विज्ञान महत्वहीन है का उल्लेख भी किया. प्रो. बुरहानी ने भारत और इंडोनेशिया के ऐतिहासिक संबंधों और एकरूपता को रेखांकित किया.
परम्परागत ज्ञान जरूरी
सम्मेलन में ब्राजील के प्रतिनिधि प्रो. रुबेन ओलिवन ने कहा कि सामाजिक समस्याओं को आधार मानकर विकास की नीतियों का निर्माण किया जाना चाहिए. परंपरागत ज्ञान को मान्यता प्रदान किया जाना महत्वपूर्ण है. प्रो. ओलिवन ने ब्राजील में इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया. वहीं पद्मविभूषण से सम्मानित डॉ. राजगोपाल चिदंबरम ने कान्फ्रेंस की थीम की ओपनिंग टॉक में कहा "वैज्ञानिक समुदाय का दायित्व है कि वह सामाजिक समस्याओं के उन्मूलन के लिए प्रयास करें. वैज्ञानिक समुदाय को समस्या निवारण शोध के लिये प्रयासरत रहना चाहिए. सफल परिणामों की सुनिश्चितता के इंतजार में न रहकर प्रयास करते रहना चाहिए."
पहले दिन रखे दो सत्र
उन्होंने कहा कि मानवता की सबसे बड़ी ताकत एकजुट होकर कार्य करना है. वैश्विक समुदाय आपसी सहयोग से ही सामुदायिक समस्याओं से निजात पा सकता हैं. प्रो. चिदंबरम ने दिव्यांगों के सहयोग हेतु आईआईटी दिल्ली और चेन्नई में बाढ़ पूर्वानुमान और प्रबंधन के लिए आईआईटी बॉम्बे के सहयोग से तैयार तकनीकी का उल्लेख किया. सम्मेलन में दो मुख्य सत्र रखे गए. पहले दिन शुक्रवार को शिक्षा और कौशल, कानून और शासन, विरासत और संस्कृति के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित रहे. दूसरे दिन शनिवार को फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज, भविष्य के समाज और समाज और संस्कृति के लिए ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा प्रमुख रूप से केंद्रित होगी.
इन सत्रों में अलग-अलग विषयों पर विषय विशेषज्ञ अपने विचार रखेंगे. उल्लेखनीय हैं कि साइंस-20, जी-20 का एक साइंस एंगेजमेंट वर्टिकल है, जिसे वर्ष 2017 में जर्मनी की अध्यक्षता के दौरान स्थापित किया गया था. इसमें सभी जी-20 देशों की वैज्ञानिक अकादमियां शामिल हैं. भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी-20 सम्मेलन में इंडोनेशिया और ब्राजील भारत के साथ ट्रोइका सदस्य हैं. साइंस20 इंगेजमेंट ग्रुप का मुख्य उद्देश्य नीति निर्माताओं को आम सहमति पर आधारित विज्ञान संचालित अनुशंसा करना है.