Bhopal News: भोपाल के सिंघाड़े गुजरात-महाराष्ट्र में घोल रहे मिठास, नुकसान के बाद भी 3.5 लाख किलो पैदावार
इस बार भोपाल में अधिक बारिश की वजह से सिंगाड़ें के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है. किसानों के अनुसार हर साल लगभग साढ़े तीन लाख से छह लाख किलो तक सिंगाड़ों की पैदावार होती थी.
Madhya Pradesh News: हर साल की तरह इस साल भी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सिंगाड़े प्रदेश सहित गुजरात (Gujarat) , महाराष्ट्र (Maharashtra) में अपनी मिठास घोल रहे हैं. दरअसल, भोपाल के बड़े तालाब में लगभग 60 हेक्टेयर में सिंगाड़ें की खेती गई है. भोपाल के बड़े तालाब के 60 हेक्टेयर क्षेत्र ने मानों हरियाली की चादर ही ओड़ ली हो. हालांकि, इस बार तेज बारिश की वजह से नुकसान के बावजूद भी भोपाल के बड़े तालाब में साढ़े तीन लाख किलो सिंगाड़े की पैदावार हुई है.
50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान
किसानों द्वारा भोपाल के बड़े तालाब में खानूगांव से लेकर हलालपुर और भैंसाखेड़ी तक सिंगाड़े की खेती की है. यहां किसान छोटी-छोटी नावों के माध्यम से दिन भर सिंगाड़े निकालते हुए इन दिनों देखे जा रहे हैं. भोपाल के बड़े तालाब में लगने वाले सिंगाड़ों का स्वाद लाजबाव होता है, नतीजतन यहां के सिंगाड़ों की डिमांड भोपाल सहित मध्य प्रदेश के अन्य शहरों के अलावा गुजरात अहमदाबाद पुणे मुंबई सहित अन्य महानगरों में हो रही है. किसानों के मुताबिक इस बार भोपाल में हुई अत्याधिक बारिश की वजह से सिंगाड़ें के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है. किसानों के अनुसार हर साल लगभग साढ़े तीन लाख से छह लाख किलो तक सिंगाड़ों की पैदावार होती थी, लेकिन इस बार महज साढ़े तीन लाख किलो ही सिंगाड़े की पैदावार हुई है.
12 महीने ही होती है खेती
भोपाल सहित मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में पूर्ति के बावजूद भी प्रदेश से बाहर महाराष्ट्र और गुजरात में 1.70 लाख किलो सिंगाड़े का निर्यात किया जा चुका है. जबकि, 1.80 लाख किलो सिंगाड़े एमपी के भोपाल, उज्जैन, इंदौर और ग्वालियर सहित अन्य प्रमुख शहरों में किया गया है. किसानों के मुताबिक भोपाल के बड़े तालाब में काली मिट्टी है, जो सिंगाड़े की खेती के लिए अनुकूल है. इसी वजह से इसमें 12 महीने ही सिंगाड़े की खेती की जाती है. किसानों के अनुसार रायकवार समाज के लोगों द्वारा यहां सिंगाड़े की खेती होती है.