Madhya Pradesh: आज से शुरू होगा बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का काम, शिवराज सरकार में हुई थी शुरुआत
Bhopal: भोपाल BRTS को साल 2011 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने संशोधित डीपीआर के बाद मंजूरी प्रदान की थी. इसके बाद इसका काम सितंबर 2013 में पूरा किया गया था. इस पर करीब 360 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
Bhopal News: भोपाल (Bhopal) में शनिवार (20 जनवरी) से बैरागढ़ से लालघाटी को जोड़ने वाले बीआरटीएस को हटाने का काम शुरू होगा. इसे लेकर बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Mohan Yadav) ने प्रजेंटेशन देखने के बाद बीआरटीएस को हटाने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए थे. वहीं अभी तक रेड बस या सिटी बस के पास रूट की कोई वैकल्पिक योजना नहीं है. सिटी बस के एक अधिकारी के मुताबिक, उनके पास बस संचालन के लिए कोई प्रभावी योजना नहीं है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) बीआरटीएस से लगभग 300 रेड बसें संचालित करता है. इसका उपयोग आपातकालीन वाहनों द्वारा भी किया जाता है. बीआरटीएस कॉरिडोर के हट जाने पर छह लेन की सड़कें वाहनों के आवागमन के लिए उपलब्ध हो जाएंगी. वर्तमान में, बीआरटीएस कॉरिडोर के दोनों ओर स्थित मोटर वाहन लेन पर भीड़-भाड़ रहती है.
रात में होगा बीआरटीएस हटाने का काम
पीडब्ल्यूडी के ब्रिज ईई जावेद शकील के अनुसार मुख्यमंत्री के आदेशानुसार बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का काम रात में किया जाएगा. उन्होंने बताया कि रात में ट्रैफिक कम रहता है, इसलिए इसे रात को ही तोड़ा जाएगा. ईई शकील के अनुसार कॉरिडोर को तोड़ने की शुरुआत हलालपुरा से की जाएगी. मिसरोद से एम्प्री तक, रोशनपुरा से कमला पार्क और कलेक्टोरेट से लालघाटी के बीच बीआरटीएस हटाने में कुल 18.51 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
शिवराज सरकार दी थी मंजूरी
बीआरटीएस को हटाने की शुरुआत बैरागढ़ से की जाएगी. दिन में ट्रैफिक ज्यादा रहता है, इसलिए रात के समय बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की कार्रवाई की जाएगी. कॉरिडोर को हटाने के लिए गुरुवार को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बैठक बुलाकर प्लानिंग को जाना था. इस बैठक में नगर निगम कमिश्रर नौबल फ्रैंक ए और इस कार्य में संलग्न रहने वाले वेंडर शामिल हुए थे, जिनसे कलेक्टर ने चर्चा की थी. बता दें, भोपाल बीआरटीएस को साल 2011 में तत्कालीन शिवराज सरकार संशोधित डीपीआर के बाद मंजूरी प्रदान की थी.
इसके बाद इसका काम सितंबर 2013 में पूरा किया गया था. इसमें संत हिरदाराम नगर बैरागढ़ से लेकर मिसरोद तक का 24 किलोमीटर का निर्माण किया गया. इस पर करीब 360 करोड़ रुपये का खर्च आया था.
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