Bhutadi Amavasya 2022: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दो साल बाद नर्मदा नदी (Narmda River) किनारे भूतड़ी अमावस्या पर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर (Sehore) में फिर मेला लगा. भूत-प्रेत और व्याधियां उतारने लोग दूर-दूर से यहां पहुंचे. साथ ही नर्मदा नदी और सीप नदी में डुबकी लगाई. कोरोना के कारण दो साल से यह मेला बंद था, इसलिए इस साल लाखों लोग यहां पहुंचे. नर्मदा नदी को चुनरी चढ़ाने के साथ पर्व शुरू हुआ. माना जाता है कि जिनके शरीर में भूत-प्रेत आते हैं, उस पर से सभी प्रकार की अला-बला दूर हो जाती है. यही कारण है कि भूतड़ी अमवस्या के दिन यहां खासतौर पर मेला लगता है. जिसमें भूत-पिशाच का रूप धारण कर लोग नाचते-गाते हैं और अजीबो-गरीब हरकतें करते हैं.

 

भूतड़ी अमावस्या के दिन नर्मदा नदी और सीप नदी के किनारे लगने वाले इस मेले को भूतों के मेले के रूप में भी जाना जाता है. गौरतलब है कि शनिवार की रात से अमावस्या पर सीहोर जिले के आंवलीघाट नर्मदा तट पर भक्तों, श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. एक दिन पहले से ही श्रद्धालुओं के आने का क्रम शुरू हुआ, जो रात भर चलता रहा. इस दौरान सुरक्षा को लेकर जिला और पुलिस प्रशासन का अमला भी सक्रिय रहा. कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर, पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी, एसडीएम बुधनी राधेश्याम बघेल, एसडीओपी बुदनी शशांक गुर्जर, रेहटी थाना प्रभारी अरविंद कुमरे सहित राजस्व विभाग के आरआई, पटवारी सहित बुदनी, रेहटी का अन्य अमला भी रतजगा करता रहा.

 

गोताखोर को भी किया गया तैनात

 

कलेक्टर-एसपी सहित अन्य अधिकारी रातभर जागकर लोगों की सुरक्षा में तैनात रहे. पल-पल की जानकारी लेते रहे, ताकि किसी प्रकार की कोई घटना-दुर्घटना न हो. नर्मदा में जलस्तर अधिक होने के कारण पुलिस, राजस्व अमला, गोताखोरों सहित होमगार्ड जवानों की सुरक्षा के बीच में लोगों को नर्मदा में स्नान कराया गया. इससे एक दिन पहले भी अधिकारियों ने आंवलीघाट पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया था और जरूरी दिशा-निर्देश दिए थे. नवरात्रि से पहले पड़ने वाली पितृमोक्ष अमावस्या भूतड़ी अमावस्या को लेकर प्रशासन ने व्यवस्थाएं चाक-चौबंद की थीं. सीहोर जिले के आंवलीघाट सहित अन्य नर्मदा तटों पर इसके लिए पुलिस फोर्स के साथ ही गोताखोर, होमगार्ड जवानों की भी तैनाती की गई.

 


 

10 फीट पर की गई बैरीकेटिंग

 

आंवलीघाट पहुंचने वाली सड़कों पर जाम न लगे, इसके लिए मार्गों को भी वनवे किया गया है, ताकि आने-जाने वाले लोग बिना जाम में फंसे अपने गंतव्य तक पहुंच सके. लगातार बारिश के कारण नर्मदा नदी में भी ज्यादा पानी है. इसके लिए आंवलीघाट तट स्थित नर्मदा नदी में 10 फीट पर बैरीकेटिंग कर दी गई है, जिससे कोई भी इससे आगे न जा पाए. श्रद्धालुओं को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस के 400 जवानों को अलग-अलग तैनात किया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की कोई घटना-दुर्घटना न हो.

 

पितृमोक्ष अमावस्या का पौराणिक महत्व

 

नवरात्रि से पहले आने वाली अमावस्या को पितृमोक्ष भूतड़ी अमावस्या कहते हैं. इस अमावस्या पर सबसे ज्यादा भीड़ सीहोर जिले के आंवलीघाट स्थित नर्मदा तट पर होती है. दरअसल इस तट का पौराणिक महत्व भी बताया जाता है. पितृमोक्ष अमावस्या पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु-भक्त दूर-दूर से आंवलीघाट तट तक पहुंचते हैं. यहां से स्नान करने के बाद लोग मां बिजासन धाम सलकनपुर भी पहुंचकर मातारानी के दर्शन करते हैं. भूतड़ी अमावस्या पर जिन लोगों को बाहरी बाधाएं या इस प्रकार की कोई परेशानियां होती हैं तो वे नर्मदा स्नान करने के लिए आंवलीघाट पहुंचते हैं. इसके अलावा जिन लोगों को कोई देवता या देवी आते हैं, वे भी यहां पर स्नान करके अपने सभी वस्त्रों को बदलते हैं और नए वस्त्र धारण करते हैं. आंवलीघाट पर यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है आज भी यहां पर यह सब कुछ होता है.