MP: शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के सरकारी आदेश पर HC की रोक, 9 दिसंबर को हाजिर होंगे कमिश्नर
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा है कि नियुक्ति आदेश में सत्यापन का जिक्र है और उपस्थिति के समय भी फिर सत्यापन लिखा हुआ है.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने उच्चतर माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 (Higher Secondary Teacher Eligibility Test-2018) में सफल उम्मीदवारों की नियुक्ति निरस्त करने के सरकारी आदेश पर रोक लगा दी है. जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने जनजातीय कार्य विभाग आयुक्त को 9 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर जवाब पेश करने के निर्देश दिए. हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय को कमिश्नर की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के निर्देश भी दिए. सागर, सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, इंदौर, ग्वालियर, अशोक नगर, झाबुआ, राजगढ़, समेत कई जिलों के शिक्षक उम्मीदवारों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त
याचिकाकर्ताओं का पक्ष अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह और रामेश्वर सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में रखा. उन्होंने बताया कि जनजातीय कार्य विभाग आयुक्त ने सभी आवेदकों को 21 अक्टूबर 2022 को उच्चतर माध्यमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी थी. विभाग ने स्कूलों में पदस्थापना के आदेश जारी कर दिए थे. शिक्षकों ने संबंधित जिलों में उपस्थिति भी दर्ज करवाई थी. सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि जनजातीय कार्य विभाग आयुक्त ने 7 नवंबर को आदेश जारी कर अभ्यर्थियों को सुनवाई का मौका दिए बिना नियुक्तियां निरस्त कर दी.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया बड़ा झटका
आदेश में इतना कहा गया कि तकनीकी कारणों से नियुक्ति निरस्त की जाती है. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं की तरफ से तर्क दिया कि वैधानिक तरीके से नियुक्ति होने के बाद बिना वजह निरस्त करना ठीक नहीं है. नियुक्ति आदेश में सभी को 15 दिन के भीतर ज्वॉइनिंग करने को कहा गया था. बताया गया कि उच्चतर माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 पास करने के बाद उम्मीदवारों को नियमित नियुक्ति दी गई. शासन की ओर से दलील दी गई कि विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप योग्यता नहीं होने के कारण नियुक्ति निरस्त की गई है. दस्तावेजों का सत्यापन किया जाना है. हाईकोर्ट ने कहा कि नियुक्ति आदेश में सत्यापन का जिक्र है और उपस्थिति के समय भी फिर सत्यापन लिखा हुआ है. ऐसे में बिना किसी कारण के नियुक्तियां कैसे निरस्त कर दी गईं.