Bilaspur News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है. अगर किसी परिवार में बेटे की मौत हो जाती है और उसकी मां शासकीय सेवा में है, तब भी उसकी पत्नी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार होगी. कोर्ट ने सिंगल बेंच आदेश को सही ठहराते हुए शासन की अपील को ठुकरा दिया है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल ये मामला जगदलपुर (Jagdalpur) का है. जिले के उदीप्तो मुखर्जी शासकीय कर्मचारी थे. उनकी मृत्यु कोरोना की वजह से हो गई है. उदीप्तो की 27 वर्षीय पत्नी मुनिया ने पति के मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया लेकिन विभाग ने उदीप्तो की पत्नी का आवेदन निरस्त कर दिया और वजह बताई कि उनकी सास भी शासकीय कर्मचारी हैं. अनुकंपा नियुक्ति नियम के अनुसार एक घर में कोई और भी सरकारी कर्मचारी हो तो परिवार के दूसरे सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती.
कोर्ट ने क्या कहा
आवेदन निरस्त होने के बाद मुनिया मुखर्जी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया. इस मामले पर सिंगल बेंच ने मुनिया के पक्ष में फैसला सुनाया है और अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया है. इसके बाद सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ शासन ने चीफ जस्टिस डिविजन बेंच में अपील पेश किया. इसपर डिविजन बेंच ने शासन की तरफ की गई अपील को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि, सरकारी कर्मचारी मृतक की मां परिवार की सदस्य नहीं है. इसलिए पत्नी अनुकंपा नियुक्ति की पात्र है.
सास नहीं होती परिवार का सदस्य
राज्य शासन ने अपनी याचिका में कहा कि, आवेदक मुनिया की सास मीना मुखर्जी सरकारी शिक्षिका हैं. इस वजह से विभाग ने बहू को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दिया. मुनिया के वकील रतनेश अग्रवाल ने कहा कि, पति-पत्नी और बच्चे परिवार के सदस्य में शामिल होते हैं. पति के मौत के बाद सास को उनके परिवार का सदस्य नहीं माना जा सकता, क्योंकि अपनी अपनी सर्विस से वे खुद का भरण पोषण कर रही हैं. पूरी बहस सुनने के बाद कोर्ट ने मुनिया के पक्ष में फैसला सुनाया और अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया.
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