MP News: बिरसा मुंडा के बहाने आदिवासी वोट हैं भुनाने, जनजाति गौरव दिवस पर बीजेपी और कांग्रेस की जोर आजमाइश
MP News: 15 नवंबर को मध्य प्रदेश में जनजाति गौरव दिवस पर बीजेपी और कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक को लेकर जोर लगाने वाली हैं.
MP News: 15 नवंबर को मध्य प्रदेश में जन जाति गौरव दिवस के मौके पर दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक को लेकर जोर आजमाईश करने वाली हैं. भोपाल में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासियों की बड़ी रैली को संबोधित करेंगे तो वहीं जबलपुर में कांग्रेस भी बिरसा मुंडा जयंती पर सम्मेलन कर आदिवासी वोट पाने की कोशिश करेगी.
कांग्रेस के कार्यक्रम में दोनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह शामिल होंगे. बता दें कि मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासियों समुदाय के लिए आरक्षित है. यहां करीब 22 परसेंट वोट आदिवासियों के हैं.
हाल ही में जबलपुर में गृह मंत्री अमित शाह ने कुंवर रघुनाथ शाह-शंकर शाह जयंती पर आदिवासी जननायकों पर कार्यक्रम किया था. उसी दिन कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कुंवर रघुनाथ शाह-शंकर शाह के बलिदान स्थल पर कार्यक्रम करने पहुंचे थे. अब बिरसा मुंडा जयंती पर भोपाल में जनजाति गौरव दिवस मनाया जा रहा है तो इसी को काउंटर करने के लिए कांग्रेस जबलपुर में बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी सम्मेलन कर रही है. भोपाल में प्रधानमंत्री मोदी तो जबलपुर में कमलनाथ-दिग्विजय सिंह बिरसा मुंडा के आजादी की लड़ाई में योगदान को याद करेंगे. हालांकि, इसके पीछे नजर 2023 का विधानसभा चुनाव और आदिवासी वोट बैंक पर होगी.
आदिवासी समुदाय रहा है राजनीति का केंद्र
पिछले कई चुनावों से आदिवासी समुदाय मध्य प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहा है. साल 2003 में दिग्विजय सिंह के खिलाफ बीजेपी की जीत में आदिवासी समुदाय का कांग्रेस से मोहभंग होना बड़ा कारण था. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने ना केवल 6 विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी, बल्कि आदिवासी सीटों पर कांग्रेस के वोट भी काटे थे. आदिवासी वोट 2013 तक के चुनाव में बीजेपी के साथ बना रहा. इस चुनाव में जहां बीजेपी को 31 सीटें मिली थी. वहीं कांग्रेस को 16 सीट पर संतोष करना पड़ा था. 2018 के चुनाव में कांग्रेस का भाग्य बदलने की बड़ी वजह आदिवासी समुदाय के वोट थे. इस चुनाव में उनका बीजेपी से मोह भंग हो गया. कांग्रेस के खाते में आदिवासी समुदाय की 31 सीटें गईं तो 16 सीटें बीजेपी को मिली. बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी. जोबट का उपचुनाव जीतने के बाद वर्तमान स्थिति में आदिवासी सीट पर बीजेपी की संख्या 16 से 17 हो चुकी है. इसी वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने के लिए बीजेपी पूरी कोशिश कर रही है.
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