MP News: बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हिंदू राष्ट्र की मांग पर बीजेपी ने अपने सांसदों को सोच समझकर बयान देने की नसीहत दी है. पार्टी का मानना है कि हिन्दू राष्ट्र जैसे विवादित मुद्दों पर सांसदों के बयान से सरकार और संगठन दोनों के लिए असहज स्थिति हो जाती है. कहा जा रहा है कि नेताओं की इस तरह की बयानबाजी से आरएसएस भी नाराज है.
2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए मुसलमानों को साधने में लगे आरएसएस के मिशन को भी नेताओं की बयानबाजी से झटका लग रहा है. बता दें कि मध्यप्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा, दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी ने हाल ही में आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हिंदू राष्ट्र की मांग का समर्थन किया था. पार्टी के कुछ और नेता भी इसी लाइन पर लगातार बयान दे रहे थे.
अब बीजेपी ने अपने सांसदों को धार्मिक मामलों में विवादित बयान देने पर रोक लगा दी है. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को सांसदों के साथ वर्चुअल बैठक कर बेहद तीखें शब्दों में कहा कि" किसी भी धर्म, हिंदू राष्ट्र या धर्मगुरुओं के समर्थन और विरोध में जहां तक संभव हो बयान नहीं देना चाहिए."
बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने सांसदों को विवादित बयान पर चेताया
उन्होंने यह कहकर बैठक में सन्नाटा खींच दिया था कि ऐसे विवादित बयान सहन नहीं किए जाएंगे. इससे पहले भी पार्टी ने सभी पदाधिकारियों को हिदायत दी थी कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले बयान न दें. नड्डा ने पार्टी सांसदों से कहा कि धार्मिक विवादित बयान से चर्चा का मुख्य मुद्दा बेवजह भटकता है. यह पार्टी के खिलाफ दुष्प्रचार का मौका देता है .उन्होंने कहा कि बीजेपी विकास और आर्थिक रूप से मजबूत देश, गरीब कल्याण के लक्ष्य को लेकर चल रही है. सांसदों की जिम्मेदारी है कि सरकार के इस विजन को लेकर चर्चा-परिचर्चा करें.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हिंदू राष्ट्र की मांग का किया था समर्थन
पिछले दिनों बागेश्वर धाम की यात्रा के बाद सांसद विष्णु दत्त शर्मा और मनोज तिवारी ने खुले तौर पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के सुर में सुर मिलाते हुए हिन्दू राष्ट्र की मांग का समर्थन किया था. सोशल मीडिया पर दोनों के बयान वायरल होने के बाद पक्ष-विपक्ष में ट्रोलिंग शुरू हो गई थी. मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र दुबे कहते हैं कि मोदी सरकार और बीजेपी का मानना है कि बाहर का आदमी कुछ भी कहता रहे.
असहज स्थिति तब बनती है, जब मंत्री, सांसद या पार्टी का कोई बड़ा नेता संविधान के खिलाफ कही बात का समर्थन करने लगता है. दुबे बताते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा की नसीहत नेताओं की जुबान पर नकेल कसने की कोशिश है.