Bhopal News: छत्तीसगढ़ की ब्लैक लिस्टेड आरकेटीसी कंपनी मध्य प्रदेश सरकार को राजस्व की हानि पहुंचा रही है. प्रदेश के नर्मदापुरम होशंगावाद जिले में रेत उत्खनन का ठेका लेने वाली इस कंपनी ने सरकार को लाखों रुपये का चूना लगा दिया. कंपनी ने  सरकार को बिना रायल्टी चुकाए जमकर अवैध उत्खनन किया. इतना ही नहीं अब वह स्टॉक के नाम पर फिर अवैध उत्खनन की तैयारी कर रही है. इस कंपनी की वजह से सरकार को दो सालों में करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है.


रेत बेचने की फिराक में कंपनी
मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में बड़ा रेत घोटाला होने की संभावना जताई जा रही है. रेत का उत्खनन कर रही आरकेटीसी कंपनी को अरबों रुपए की राशि जमा न करने के कारण सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कर दिया था. लेकिन वह सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट चली गई और अब स्टॉक के नाम पर रेत बेचने की फिराक में है. 


8 जगह रेत भंडार बनाने की अनुमति
आरकेटीसी ने जिले में आठ जगह स्टॉक की अनुमति ली थी. सूत्रों का कहना है कि कंपनी की और से चार लाख 21 हजार घन मीटर रेत के स्टॉक का दावा किया जा रहा है, लेकिन मौके पर महज कुछ घन मीटर रेत पड़ी है.
 
कोर्ट के निर्देश पर पहुंचा संयुक्त दल
बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट ने हाल ही में नर्मदापुरम कलेक्टर को आरकेटीसी के प्रतिनिधि के साथ संयुक्त दल को रेत के स्टॉक का निरीक्षण के आदेश दिए थे. इसके बाद संयुक्त दल ने स्टॉक का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट बना ली है. अब कोर्ट पूरे मामले पर अपना फैसला सुनाएगा, अगर फैसला आरकेटीसी के पक्ष में आया तो स्टॉक के नाम पर नर्मदा नदी से अवैध उत्खनन होगा.


रेत की मात्रा बहुत कम 
सरकारी रिकार्ड में नर्मदापुरम में आरकेटीसी के आठ स्थानों मुडिय़ा खेड़ी, चोटली, पलिया पिपरिया, दमदम, चौक पुरा, मरकाधाना और रायपुर में 4 लाख 21 हजार घन मीटर रेत के स्टॉक दर्ज है. टीम ने जब रायपुर और दमदम में पड़ताल की तो मौके पर बहुत कम मात्रा में रेत मिली, जबकि रिकॉर्ड में रायपुर में दो लाख 34 हजार घन मीटर और दमदम में 87 हजार घन मीटर रेत दर्ज है. कुल मिलकर आरकेटीसी के आठ स्थानों पर रेत का भंडारण बहुत ही कम मात्रा में है.


अफसरों ने नहीं कराया स्टॉक का निरीक्षण
नर्मदापुरम में आरकेटीसी के रेत स्टॉक को लेकर लंबे समय से विवाद है. इसके बावजूद शासन-प्रशासन ने आरकेटीसी के रेत भंडारों का निरीक्षण नहीं कराया. इसकी वजह से अब अफसरों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. सरकार को अरबों रुपये का चूना लगाने और ब्लैक लिस्टेड होने के बाद भी आरकेटीसी सरकार पर भारी पड़ रही है. हालांकि अफसरों को समय रहते स्टॉक की जांच करा रेत के स्टॉक की मात्रा को सार्वजनिक करना था. लेकिन, अब कोर्ट के आदेश के बाद आरकेटीसी के रेत भंडारों का निरीक्षण हुआ है. हालांकि कोर्ट का हवाला दे कंपनी के रेत भंडारों का ब्योरा सार्वजनिक करने से अफसर कतरा रहे हैं. 


कंपनी पर अधिकारियों की मेहरबानी
आरकेटीसी ने लंबे समय तक किस्त की रकम सरकार को जमा नहीं की. इसके बावजूद उसे खदानों से रेत निकालने की छूट दी जाती रही. अफसरों की मेहरबानी से कंपनी रेत खदानों से रेत निकालती रही. कंपनी करोड़ों रुपए की रेत चोरी कर धड़ल्ले से बेचती रही लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और शीर्ष राजनेता खामोश रहे.