CAG Report 2023: भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट का मध्य प्रदेश शासन का वर्ष 2023 का प्रतिवेदन सोमवार को विधानसभा में पेश किया. रिपोर्ट में प्रदेश के ऐसे 64 ऐतिहासिक स्मारकों की सूची जारी की गई है जो अतिक्रमण की चपेट में है. महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश के 189 स्मारकों के संयुक्त निरीक्षण के दौरान ऐसी स्थिति का पता चला है, जो स्मारकों की सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है.
दरअसल प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम 2010 के अंतर्गत स्मारक की मौलिकता को प्रभावित करने वाला निर्माण विभाग की अनुमति के बगैर सौ मीटर के दायरे में नहीं किया जा सकता है. इसी आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि अतिक्रमण के मामलों में नियमित निरीक्षण, अतिक्रमण की पहचान और अविलंब निष्कासन की एक मजबूत प्रणाली की आवश्यकता है.
64 स्मारकों में अतिक्रमण
नियम के हिसाब से इंदौर का लालाबाग पैलेस, चंपा की बावड़ी, नौगांव का नाग मंदिर या भोपाल के जगदीशपुर का महल सभी इसमें शामिल हैं. वहीं जबलपुर के मझोली स्थित विष्णु वराह मंदिर में कब्जा कर गौशाला चलाई जा रही है. प्रदेश में ऐसे 64 स्मारक में अतिक्रमण किया हुआ है, जिसमें पूरे स्मारक परिसर में बाहरी लोगों ने मकान-दुकान बना लिए हैं. तो अनियमित निर्माण भी किया गया है.
संग्रहालयों में रख-रखाव के लिए नहीं इंतजाम
आयुक्त ने 2022 में वादा किया था कि इन सभी मामलों की जांच के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी और स्थानीय प्रशासन की मदद से कार्रवाई भी करेंगे. संग्रहालयों और अभिलेखागारों के प्रबंधन पर भी कैग ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं. प्रदेश के संग्रहालयों में भौतिक सत्यापन और आगजनी जैसे हालात से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन व्यवस्था भी नहीं है. अभिलेखागारों में फायर अलार्म सिस्टम ही नहीं है. वर्षों से यहां रखे दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन तक नहीं किया गया है.
कैग ने यह भी कहा है कि स्मारकों के वार्षिक रखरखाव के लिए विभाग के पास न तो कोई नीति है और न ही तंत्र. इसलिए बजट भी नहीं मांगा गया और न ही किसी अन्य स्रोत से रख-रखाव किया गया. यही कारण है कि संरक्षित स्मारकों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नियमित रूप से अभी तक नहीं की जा सकी हैं.
क्षेत्रों में नहीं कराए गए विकास कार्य
कैग ने 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए राजस्व संबद्ध विभागों की रिपोर्ट जारी की है. जिसे सोमवार को विधानसभा में रखा गया. प्रदेश के खनन प्रभावित क्षेत्रों में प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत विकास कार्य किए जाने थे. इसके लिए राज्य खनिज फंड में 1045 करोड़ 34 लाख रुपए भी थे. पर संबंधित क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं कराए गए. यह तथ्य कैग के महानिदेशक खनिज के अभिलेखों के नमूना परीक्षण में सामने आया है.
अधिसूचना जारी होने के बाद भी 7 स्मारकों पर लोगों का कब्जा
वहीं कैग ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि वित्त वर्ष 2017-18 से 2020-21 के दौरान राज्य खनिज फंड में 1506 करोड़ 83 लाख रुपये जमा कराए गए थे. इसमें से 31 मार्च 2021 तक 461 करोड़ 49 लाख रुपए ही खर्च किए गए. रिपोर्ट के अनुसार 100 वर्ष से अधिक पुराने 8 स्मारकों को संरक्षित करने की अधिसूचना जारी नहीं की गई. 7 स्मारकों पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था. जिन्होंने अधिसूचना जारी होने के बाद भी अपना कब्जा जारी रखा.
इसे विभाग हटवा नहीं पाया उल्टे उसने इनके संरक्षण के औचित्य का उल्लेख किए बिना विरासत होटलों में बदलने के लिए गैर अधिसूचित कर दिया और उसके बाद विरासत होटलों में परिवर्तित भी नहीं किया है. महालेखापरीक्षक ने माना है कि राशि होते हुए भी विकास कार्य नहीं कराने से राज्य खनिज फंड का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है.
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