Mahashivratri 2023: महाकाल के सेहरे में सजे फूलों को सरकारी खजाने के साथ संजोकर क्यों रखना चाहती है केंद्र और राज्य सरकार?
Ujjain Mahakaleshwar: भगवान को चढ़े हुए फूल और धान को लेने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. पंडित और पुरोहित परिवार द्वारा इसे श्रद्धालुओं के घरों की बरकत बढ़ाने के लिए दिए जाते हैं.
Mahakal Mandir Ujjain: केंद्र और राज्य सरकार का खजाना कभी खाली नहीं रहे, इसे लेकर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में चेहरे के उतारे गए फूल रखे जाएंगे. जैसे ही सेहरा उतरा, वैसे ही केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि सेहरे के फूल और सात प्रकार का धान लेकर मंदिर से रवाना हो गए.
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के अगले दिन भगवान महाकाल का सेहरा सजाया जाता है. महाकालेश्वर मंदिर में सेहरा सजाने के लिए देश-विदेश से 11 क्विंटल फूलों को मंगवाया गया था. इसके अलावा भगवान महाकाल को सात प्रकार के धान भी चढ़ाए गए. भगवान महाकाल चेहरे के दर्शन देकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया. महाकालेश्वर मंदिर के पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि जब महाकालेश्वर महाराज का सेहरा उतारा जाता है, उस समय पंडित और पुरोहित के परिवार ही मौजूद रहते हैं.
सेहरे के फूल और धान का खास महत्व
सेहरा के फूल और सात प्रकार के धान का विशेष महत्व है. भगवान को चढ़े हुए फूल और धान को लेने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. पंडित और पुरोहित परिवार द्वारा इसे श्रद्धालुओं के घरों की बरकत बढ़ाने के लिए दिए जाते हैं. पंडित आशीष पुजारी ने एक और महत्वपूर्ण बात बताई कि इस बार मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार और देश की मोदी सरकार भी अपने खजाने की बरकत के लिए महाकाल के सेहरे के फूल और सात प्रकार के धान ले गए हैं. राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में दो अधिकारियों ने सेहरे के फूल और सात प्रकार के धान को सरकार के खजाने में रखने के लिए पंडित और पुरोहित परिवार से प्राप्त कर लिया है.
चुनावी साल में खजाने का भी रखा जा रहा है ध्यान
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने कई बार बड़ी योजनाओं को मूर्त रूप देने और जनकल्याणकारी योजनाओं को सतत चलाने के लिए ऋण भी लिया है. इसे विपक्ष हमेशा मुद्दा बनाती है. चुनावी साल होने की वजह से इस बार भी दिल खोलकर घोषणा की जा रही है, जिसे पूरा करने के लिए काफी धन की आवश्यकता होगी. अब शिवराज सरकार का खजाना भी भगवान महाकाल के भरोसे है.
ऐसी है भगवान महाकाल के दरबार की परंपरा
महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान महाकाल के सतत दर्शन का सिलसिला चलता रहता है. इसके बाद रात्रि में भगवान महाकाल का सेहरा सजाया जाता है. महाशिवरात्रि के अगले दिन सुबह होने वाली भस्म आरती दोपहर में 12 बजे होती है. जब भगवान महाकाल के सेहरे के दर्शन होते हैं उस समय बड़ी संख्या में शिव भक्त भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं. भगवान महाकाल को जिस प्रकार से विधि-विधान और मंत्रोच्चार के साथ सेहरा सजाया जाता है, उसी प्रकार से मंत्रोचार के साथ सेहरा उतारा भी जाता है. इस दौरान पंडित और पुरोहित के अलावा किसी को भी अंदर नहीं रहने दिया जाता है.
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