Mata Hinglaj Jyoti: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित मां हिंगलाज (Hinglaj) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रायसेन (Raisen) जिले के बाड़ी में भी अपने भक्तों को दर्शन देती हैं. बाड़ी में 500 साल पुराना माता हिंगलाज का मंदिर स्थापित है. माता की ज्योति पाकिस्तान (Pakistan) के बलूचिस्तान (Bluxhistan) से 500 साल पहले लाई गई थी और यहां बाड़ी में स्थापित की थी. मंदिर में 500 सौ साल से ही माता हिंगलाज की दो अखंड ज्योति घी और तेल की अनवरत जल रही है. 


यह हिंगलाज शक्तिपीठ की उपशक्तिपीठ है. मंदिर की महिमा मप्र सहित पूरे देश में फैली है. यही कारण है कि नवरात्रि पर्व के अलावा भी यहां 12 महीने श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. 


पाक में नानी की दरगाह के नाम से है मशहूर


किंवदंति है कि रायसेन जिले के बाड़ी में 500 सौ साल पुराना मां हिंगलाज का मंदिर है. 16वीं सदी में खाकी अखाड़ा की महंत भगवानदास महाराज मां हिंगलाज को पाकिस्तान के बलूचिस्तान से ज्योति स्वरूप मां हिंगलाज को लेकर आए थे. मां हिंगलाज की ज्योति को लेकर आने की रोचक कहानी सोरोजी के पंडा प्रेमनारायण के द्वारा लिखित रचना पण्डावही में मिलती है. बता दें पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगलाज शक्तिपीठ नानी की दरगाह के नाम से जाना जाता है.


मां दुर्गा के अनन्य भक्त थे भगवानदास


रचना पण्डावही के अनुसार महंत भगवानदास महाराज मां दुर्गा व भगवान राम के अनन्य भक्त थे. 16वीं सदी में महंत भगवानदास महाराज के मन में मां हिंगलाज के दर्शन की इच्छा जागृत हुई. महंत भगवानदास महाराज अपने दो शिष्यों के साथ पैदल ही पाकिस्तान के बलूचिस्तान मां हिंगलाज के दर्शनों के लिए निकल पड़े. महंत ने करीब दो साल तक पैदल यात्रा की. माता के दर्शन के बाद महंत भगवानदास महाराज ने माता की ज्योति ली और पैदल ही बाड़ी के लिए निकल पड़े. महंत ने कंद मूल खाकर अपनी यात्रा जारी रखी और यहां धूनी (अग्रि) लाकर ज्योति स्थापित की. 


बाड़ी स्थित मां हिंगलाज के मंदिर में बोर्ड पर अंकित जानकारी में लिखा है कि विश्व में 52 शक्तिपीठों में से मां भगवती हिंगलाज देवी का स्थान भारत में प्रथम एवं एकमात्र नगर बाड़ी जिला रायसेन मप्र में है. इसका प्राचीन मूल शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान शहर में है. देवी को इस परिसर में स्थित प्राचीन श्री राम जानकी दरबार खाकी अखाड़ा के श्री श्री 1008 महंत श्री भगवानदास जी ने ज्योति स्वरूप लाकर स्थापित किया. मां भगवती की प्रतिमा के समीर अखण्ड दीपक सतत प्रज्वलित है. 


गौड़ शैली में बना है मंदिर 


किंवदंती है कि रायसेन जिले के बाड़ी में स्थित माता हिंगलाज मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में हुआ था. मंदिर का शिखर गौड़ शैली का बना हुआ है. मां की प्रतिमा जगदम्बे की 51वें उपशक्तिपीठ के रूप में स्थापित है. बता दें साल 2005 में ट्रस्ट की ओर से मां हिंगलाज मंदिर और श्री राम जानकी मंदिर पुनर्निर्माण कराया गया. मंदिर से नीचे की ओर आते ही भगवान गणेश का मंदिर है. श्री गणेश मंदिर से कुछ ही दूरी पर शिवालय है. शिव मंदिर के सामने ही हनुमान जी का मंदिर है.


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