अफ्रीकी देश नामीबिया से चीतों को लाकर मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय अभयारण्य में बसाने की योजना के सिलसिले में नामीबिया का दौरा करने वाले भारतीय दल के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि नामीबिया के अधिकारियों के साथ चर्चा फलदायी रही और चीतों को लाने के तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है.


दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला वन्यजीव चीता करीब 70 साल पहले भारत में विलुप्त हो गया था और चीतों को यहां कुनो अभयारण्य में लाने की योजना पर काम किया जा रहा है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए), भारतीय वन्यजीव संस्थान, भारत सरकार और मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल चीतों के स्थानांतरण, परिवहन आदि मुद्दों पर चर्चा करने के लिए यहां से 17 फरवरी को नामीबिया के लिए रवाना हुआ था. इस मामले में चर्चा कर यह दल हाल ही में स्वदेश लौटा है.


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प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे एक अधिकारी ने सोमवार को को बताया कि नामीबिया के समकक्ष अधिकारियों के साथ हमारी बातचीत फलदायी रही. यह दोनों सरकारों के बीच चर्चा का मंच था. नामीबिया से चीते लाने के तौर तरीकों पर काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नामीबिया सरकार की कुछ चिंताएं हैं. उन्होंने एक समझौता पत्र (एमओयू) भेजा है. अधिकारी ने कहा कि सबसे पहले दोनों की बीच आम सहमति होनी चाहिए. हमने अपना पक्ष रखा है कि हम ऐसा कर सकते हैं. मध्य प्रदेश की सीमित भूमिका है, जैसे हम चीते प्राप्त करने के लिए तैयार हैं या नहीं? प्रदेश ने पहले से ही कुनो में तैयारी कर ली है.


1952 में चीते को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था


अधिकारियों ने पहले बताया था कि अगले पांच या 10 वर्षों में 50 चीतों को लाने की योजना है. संभवत: पहले साल में 10-12 चीतों को नामीबिया से स्थापना स्टॉक के तहत यहां लाया जाएगा. देश के अंतिम चीते की मृत्यु 1947 में अविभाजित मध्य प्रदेश के कोरिया (वर्तमान में छत्तीसगढ़) जिले में हुई थी. 1952 में चीते को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था. अधिकारियों ने कहा कि प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 340 किलोमीटर दूर चंबल क्षेत्र में 750 किलोमीटर में फैले कुनो अभयारण्य में पिछले साल नवंबर तक चीते लाने की योजना में कोविड-19 महामारी के कारण विलंब हुआ है. कुनों में चीतों के लिए शिकार का अच्छा आधार है. यहां चार सींग वाले हिरण, चिंकारा, नीलगाय, जंगली सुअर, चित्तीदार हिरण और सांभर हैं.


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