सियासी फलक से दूर होने के बावजूद फायर ब्रांड नेता उमा भारती का समय समय पर आनेवाला बयान बीजेपी में भूचाल ला देता है. अब छतरपुर में उमा भारती का दिया एक बयान सुर्खियां बटोर रहा है. छतरपुर में उन्होंने कहा, "सरकार मैं बनाती हूं और चलाता कोई और है. माना जा रहा है कि पार्टी में हाशिये पर कर दीं गई उमा भारती का बयान पीड़ा की अभिव्यक्ति है लेकिन बयान के कई मायने भी निकाले जा रहे हैं.
बुंदेलखंड की केन बेतवा लिंक परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद छतरपुर पहुंची उमा भारती का अभिनंदन समारोह में चुनावी दर्द छलक उठा. उन्होंने कहा, "सरकार मैं बनाती हूं लेकिन चलाता कोई और है. भारती का बयान मध्य प्रदेश की सियासत के संदर्भ में था.
उमा भारती ने 2024 में चुनाव लड़ने का किया एलान
चुनाव लड़ने के सवाल पर उमा भारती ने कहा कि 2024 में उतरने का एलान किया और फिर थोड़ा गुस्सा होकर बोलीं हजारों बार तो कहा है चुनाव लडूंगी. उन्होंने 2024 का चुनाव लड़ने के लिए संगठन मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष का हवाला दिया. दोनों बड़े नेताओं ने कहा है कि जाओ प्रचार करो. इसलिए मैं प्रचार करने निकली हूं. पिछला चुनाव न लड़ने पर उमा भारती ने कहा कि 2019 का चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं थी. इस मौके पर थोड़ा मुखर होते हुए उमा भारती ने सरकार की रोजगार योजना पर सवाल उठाए और कहा कि बुंदेलखंड से 10-12 लाख लोग पलायन करते हैं. भरपेट भोजन मिलेगा तो लोग क्यों पलायन करेंगे?
प्रोजेक्ट के शिलान्यास में नाम गायब कर दिया गया
उन्होंने कहा, "मैं एक किताब लिखूंगी और बताऊंगी कैसे उनके प्रयासों से केन-बेतवा लिंक परियोजना, ललितपुर-सिंगरौली रेलवे लाइन का शिलान्यास सहित अन्य काम हुए. उनका कहना था कि ये सभी प्रोजेक्ट उनके अथक प्रयासों से स्वीकृत हुए. ललितपुर-सिंगरौली रेलवे लाइन को लेकर उमा भारती ने कहा कि कांग्रेस वालों ने तो मेरा नाम शिलान्यास के समय नहीं लिया, साथ में बीजेपी वालों ने भी मेरा नाम गायब कर दिया. इस रेलवे लाइन के लिए उन्होंने रामविलास पासवान का आभार जताया. पासवान ने उनके खजुराहो सांसद रहते परियोजना को मंजूरी दी थी.
गौरतलब है कि उमा भारती के नेतृत्व में ही 2003 में भाजपा ने मध्य प्रदेश कांग्रेस की दिग्विजय सरकार को सत्ता से बेदखल किया था. हुबली की अदालत से गैर जमानती वारंट जारी होने की वजह से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी और पहले बाबूलाल गौर और फिर बाद में बाद शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने. शीर्ष नेतृत्व से मतभेद के बाद उमा भारती ने भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई और चुनाव भी लड़ा था. भाजपा में वापसी हुई तो मध्य प्रदेश की सक्रिय राजनीति से बाहर हो गईं और उत्तर प्रदेश की होकर रह गईं. केंद्र में मंत्री भी रहीं, लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला और अब किसी पद पर नहीं हैं.
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