(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Madhya Pradesh: CM मोहन यादव ने पहली कैबिनेट बैठक में दी बड़ी सौगात, अब जमीन खरीदने के साथ ही होगा नामांतरण
Madhya Pradesh News: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में प्रदेश के लोगों की बड़ी सौगात दी है. भवन की रजिस्ट्री के नामांतरण किए जाने की प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी गई है.
MP NEWS: मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही भूखंड या भवन की रजिस्ट्री के नामांतरण किए जाने की प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी है. इस फैसले के बाद 1 जनवरी से नया नियम लागू हो जाएगा. इससे नामांतरण करने के लिए लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा. इसके अलावा धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से भी मुक्ति मिलेगी.
‘जमीन खरीदते समय कराना होता है नामांतरण’
मुख्यमंत्री मोहन यादव के गृह नगर उज्जैन की जिला पंचायत से ऋतंभरा द्विवेदी ने बताया कि साल 1908 से संपत्ति का पंजीयन शुरू हुआ है. 100 साल से अधिक समय बीतने के बाद भी पंजीयन को लेकर चल रही प्रक्रिया में अधिक अंतर देखने को नहीं मिला. उन्होंने बताया कि वर्तमान में कृषि भूमि का पंजीयन करने के बाद नामांतरण के लिए सीधे ही प्रकरण चला जाता है. मगर भवन या भूखंड खरीदते समय खुद जाकर नामांकन कराना होता है.
उन्होंने बताया कि यह नामांतरण स्थानीय ग्राम पंचायत, नगर पंचायत या नगर पालिका निगम द्वारा किया जाता है. स्थानीय निकाय में नामांतरण की प्रक्रिया को लेकर लोगों को थोड़ा परेशान जरूर होना पड़ता है. मध्य प्रदेश सरकार के नए फैसले के बाद अब रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण हो जाएगा. इसके लिए अभी गाइडलाइन नहीं आई है. मगर इतना जरूर है कि इससे आम लोगों को काफी सुविधा मिलेगी.
स्थानीय निकाय के दफ्तर में करनी होती है जेब गर्म
संपत्ति का पंजीकरण करने के साथ ही नामांतरण होने की प्रक्रिया से भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी. लोकायुक्त पुलिस मध्य प्रदेश में ऐसे कई मामलों में अधिकारियों और कर्मचारियों को पकड़ा है, जब नामांकन के लिए रिश्वत मांगी जाती रही है. नामांतरण करने की प्रक्रिया 15 दिनों से ज्यादा चलती है. इसी बीच समाचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी करने के साथ-साथ पूर्व भवन स्वामी से सहमति लेना होती है. इसके साथ पंजीकृत दस्तावेजों की छाया प्रति भी लगाई जाती है.
धोखाधड़ी से भी मिलेगी मुक्ति
जिला पंचायत ऋतंभरा द्विवेदी ने बताया कि कुछ मामलों में लोग नामांतरण नहीं होने की वजह से एक ही भूखंड या भवन दो लोगों को बेच देते हैं. जब आमंत्रण की प्रक्रिया शुरू होती है तब गड़बड़ी पकड़ में आती है. रजिस्ट्री के साथ भूखंड या भवन का नामांतरण होने से धोखाधड़ी के मामलों से भी मुक्ति मिलेगी. हालांकि विवादित प्लांट या मकान को लेकर पंजीयन और नामांतरण की प्रक्रिया कैसी रहेगी? इस सवाल का जवाब पूरी गाइडलाइन सामने आने के बाद ही मिल पाएगा.
यह भी पढ़ें: MP Politics: कैलाश विजयवर्गीय को मुख्यमंत्री पद न मिलने पर इंदौर के लोगों में निराशा, सोशल मीडिया पर जाहिर की नाराजगी