MP Politics: मध्यप्रदेश में इन दिनों "राग वादाखिलाफी" जमकर गाया जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच जुबानी जंग इसी राग में चल रही है. दोनों ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्वीटर पर रोज एक-दूसरे के खिलाफ जमकर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को 'सूत ना कपास, जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा' वाली कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि कमलनाथ स्वयंभू मुख्यमंत्री हो रहे हैं. वहीं,कांग्रेस नेता कमलनाथ ने 'हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे' वाली कहावत के साथ शिवराज सिंह चौहान को भगोड़ा मुख्यमंत्री करार दिया है.
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया कि,"सूत ना कपास, जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा. कांग्रेस ने पहले हाथ जोड़ो अभियान चलाया, अब कमलनाथ से पीछा छुड़ाओ अभियान चल रहा है. कांग्रेस के एक के बाद एक नेता आगे आ रहे हैं. कमलनाथ जी स्वयंभू मुख्यमंत्री हो रहे हैं." सीएम शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि कांग्रेस और कमलनाथ वोट लेने के लिए झूठ बोलकर जनता को गुमराह करते हैं. मैं अब तक 10 सवाल पूछ चुका हूं पर उन्होंने एक का भी जवाब नहीं दिया. कमलनाथ जी आपने किसानों के लिए नई सामाजिक सुरक्षा पेंशन शुरू कर 1000 रुपए देने का वादा किया था. किसको पेंशन मिली? आपने जनता को धोखा दिया है.
कमलनाथ का CM शिवराज पर पलटवार
वहीं, जवाबी वार करते हुए कमलनाथ ने ट्वीट किया कि शिवराज चौहान जी सवालों से भागकर आप मध्य प्रदेश की जनता की निगाह में एक भगोड़े मुख्यमंत्री बनते जा रहे हैं. आप बीजेपी की वह स्थिति कर देना चाहते हैं जिसे कहते हैं-हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे. अगर आंख का पानी बचा हो तो जनता के सवाल का जवाब दीजिए. आपने वादा किया था कि हर जाति के सीमांत और लघु किसान को सूरजधरा और अन्नपूर्णा योजना में शामिल करके रियायती दरों पर उच्च गुणवत्ता के बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. आपने सबको तो जोड़ा नहीं बल्कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के जिन किसानों को पहले से इस योजना का लाभ मिलता था, उनको भी लाभ से वंचित कर दिया. है कोई जवाब?"
विधानसभा चुनावों तक अलापा जाएगा राग: वरिष्ठ पत्रकार
प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र दुबे कहते है कि दोनों ही इन नेताओं ने जनता से किए गए वायदे पूरे नहीं किए हैं. अगर ये अपना घोषणापत्र देख लें तो समझ जाएंगे कि कितने वादे अधूरे रह गए हैं. जनता भी इनके आरोपों को समझ रही है. नवम्बर 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले तक राग वादाखिलाफी गया जाता रहेगा.
ये भी पढ़ें: MP Politics: सांसद-विधायकों को 'राम का नाम' लेने का अधिकार नहीं, जानिए BJP नेत्री उमा भारती ने ऐसा क्यों कहा