Bhopal News: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के जीवन से जुड़ा एक ऐसे किस्सा है जो संघ के वरिष्ठ नेता और उनके साथी सहयोगी ही जानते हैं. जब एक संघ के नेता की जेब से शिवराज सिंह चौहान का नाम निकल गया तो उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. शिवराज सिंह चौहान को 19 महीने तक जेल की हवा खाना पड़ी. यहीं से उनके जीवन में बदलाव आया और वे समाज सेवा के लिए निकल पड़े.
मध्य प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल (Kamal Patel) के मुताबिक, 1977 में जब इमरजेंसी का दौर चल रहा था उस समय संघ के नेता और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद संगठन मंत्री के रूप में कार्य कर रहे सूर्यकांत केलकर को गिरफ्तार कर लिया गया. जब सूर्यकांत केलकर की तलाशी ली गई तो उनकी जेब से एक चिट्ठी निकली, जिसमें शिवराज सिंह चौहान नाम लिखा हुआ था. इसके बाद पुलिस शिवराज सिंह चौहान की तलाश में जुट गई.
वर्तमान में मुख्यमंत्री के पद पर आसीन शिवराज सिंह चौहान उस समय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लिए काम करते थे. पुलिस ने शिवराज सिंह चौहान को भी भोपाल से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उन्हें 19 महीने तक इमरजेंसी में हवालात की हवा खाना पड़ी. उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उम्र 18 साल और कुछ महीने रही होगी. जेल में उन्हें संघ के बड़े नेताओं का सानिध्य मिला और फिर वे जेल से छूटकर समाज सेवा के लिए निकल पड़े.
किसान का बेटा क्यों नहीं बन सकता प्रदेश का मुख्यमंत्री?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा से किसानों के लिए अलग-अलग फोरम पर लड़ाई लड़ते रहे. उन्होंने विधायक कार्यकाल में किसानों की कई बार आवाज उठाई. इसके बाद जब वे सांसद बने तो देश भर में किसानों की समस्या को लेकर लोकसभा में लड़ते रहे. किसान परिवार से जुड़े मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार खुद का उदाहरण देते हुए इस बात को मंच से भी कहते हुए दिखाई दिए कि इस देश में किसान का बेटा मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता है ? उन्होंने कई बार किसानों के लिए कांग्रेस सरकार में बड़े आंदोलन भी किए. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी हमेशा व किसानों की बात संगठन तक पहुंचाते रहे. इस बार बजट में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहरी क्षेत्र से ज्यादा देहात पर फोकस किया, इससे भी उनके किसान परिवार से होने की छवि और उभर गई.
90 के दशक से शिवराज-कमल का साथ जुड़ा, दोस्ती निभाई
कृषि मंत्री कमल पटेल के मुताबिक जब 1990 में शिवराज सिंह चौहान अपना पहला चुनाव लड़ रहे थे, उस दौरान उन्होंने पदयात्रा निकाली थी. इस पदयात्रा के समापन में उन्हें भी आमंत्रित किया गया था. मैं (कमल पटेल) बस में बैठकर 1990 में नसरुल्लागंज पहुंचे थे. जहां आम सभा को संबोधित किया गया था. इस सभा के बाद शिवराज सिंह चौहान कमल पटेल को लेकर भोपाल पहुंचे, जहां पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा सहित कई नेता मौजूद थे. इस दौरान संघ के नेता सालिगराम तोमर से उनकी मुलाकात हुई. तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुझे कमल का साथ चाहिए, तब से कमल पटेल उनसे भारतीय जनता युवा मोर्चा के माध्यम से जुड़ गए. जब शिवराज सिंह चौहान भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे उस समय प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी कमल पटेल को सौंपी गई थी.
ये भी पढ़ें:-
Mission 2023: सिंधी समाज कांग्रेस के साथ, BJP की उम्मीदों पर फिरा पानी, टेंशन में शिवराज!