इंदौर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव (Local Bodies Election) कराने का रास्ता अब साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट (Superem Court) ने राज्य चुनाव आयोग को चुनाव कराने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 5 साल में चुनाव करवाना सरकार की संवैधानिक जिम्‍मेदारी है. अदालत ने 2 हफ्ते में चुनाव की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि OBC आरक्षण (OBC Reservation) के लिए तय शर्तों को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता. अभी सिर्फ एससी-एसटी आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने होंगे. 


कांग्रेस नेता ने बीजेपी पर क्या आरोप लगाए


सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी शुरू कर दी है. इंदौर आए कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय आया है, उससे बीजेपी सरकार का ओबीसी विरोधी चेहरा सामने आया है. बीजेपी सरकार अगर सही जानकारी सुप्रीम कोर्ट में समय पर दे देती तो यह स्थति नहीं होती. उन्होंने कहा कि इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार है. बीजेपी सरकार ओबीसी विरोधी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोगों को बताएगी की ओबीसी को आरक्षण किसने दिया और किसने छीना है.


पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में OBC को आरक्षण के मामले में प्रदेश की बीजेपी सरकार की रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना है. अधूरी रिपोर्ट होने के कारण मध्य प्रदेश में OBC वर्ग को चुनाव में आरक्षण नहीं मिलेगा. इसलिए अब स्थानीय चुनाव 36 फीसदी आरक्षण के साथ ही होंगे. इसमें 20 फीसदी अनुसूचित जाति और 16 फीसदी अनुसूचित जाति का आरक्षण रहेगा. जबकि शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने के बात कही थी. 


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