Mayor from Congress in Jabalpur: करीब 18 साल बाद जबलपुर (Jabalpur) नगर निगम में कांग्रेस (Congress) की नगर सरकार बनने जा रही है. कांग्रेस के जगत बहादुर सिंह अन्नू ने बीजेपी के मजबूत किले को धवस्त करते हुए महापौर की कुर्सी तो हासिल कर ली है, लेकिन नगर सरकार चलाना उनके लिए इतना आसान नहीं होगा. इसकी वजह यह है कि जबलपुर नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस के पार्षद बीजेपी की तुलना में आधे ही जीत पाएं हैं.
बीजेपी ने कांग्रेस का जश्न किया फीका
आइये समझते हैं कि नगर निगम जबलपुर के सदन में क्या स्थिति बनने वाली है. हालांकि नगर सत्ता के संग्राम में कांग्रेस इस बार जबलपुर में फतह हासिल करने में कामयाब हो गई. करीब 18 साल बाद कांग्रेस ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी है, लेकिन कांग्रेस की जीत पूरी जीत नहीं मानी जाएगी. इसकी बड़ी वजह यह है कि कांग्रेस अपने महापौर प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह अन्नू को महापौर बनाने में तो कामयाब हो गए. लेकिन बहुमत की संख्या में पार्षदों को जिताने में नाकामयाब रही.
आंकड़ों पर नजर डालें तो जबलपुर के 79 वार्डों में से 44 वार्डों में बीजेपी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. कांग्रेस के महज 26 उम्मीदवार जीते हैं. एआईएमआईएम की भी दो महिला उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. वहीं 7 निर्दलीय उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं.
मजबूत विपक्ष का करना होगा सामना
इस तरह से नगर निगम के सदन में महापौर को बेहद मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ेगा. वहीं सदन का अध्यक्ष भी बीजेपी खेमे से बनना तय माना जा रहा है. इससे महापौर के लिए सदन चलाना बेहद मुश्किल होने वाला है. अब इस पर नवनिर्वाचित महापौर का जगत बहादुर सिंह अन्नू का कहना है,"हम उम्मीद करते हैं बीजेपी शहर विकास में हमारा साथ देगी".
वहीं महापौर का चुनाव हार चुकी बीजेपी को इस बात की तसल्ली है कि उसके 44 पार्षद सदन में मौजूद रहेंगे. इस पर नवनिर्वाचित पार्षद और सदन में अध्यक्ष पद के दावेदार कमलेश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस अगर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करेगी तो निश्चित तौर पर बीजेपी साथ देगी लेकिन अगर कांग्रेसियों ने भ्रष्टाचार किया तो विपक्ष इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. बीजेपी केवल शहर विकास पर ही काम करेगी. जबलपुर नगर निगम में यह पहला मौका नहीं है जब सदन में कांग्रेस का महापौर और बीजेपी के ज्यादा पार्षद मौजूद रहेंगे. इसके पहले साल 2000 में भी कांग्रेस के प्रत्याशी विश्वनाथ दुबे महापौर बने थे और बीजेपी के पार्षद कांग्रेस की अपेक्षा ज्यादा थे. उस वक्त शहर का बेहतर विकास हुआ था. लेकिन यह बात 20 साल पुरानी है. अब देखना होगा कि नवनिर्वाचित सदन में कांग्रेस और बीजेपी शहर के हित में कितना काम कर पाती है.
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