MP Politics: 'कार्यकर्ताओं का हाथ छोड़ने से जमीन पर आ गई पार्टी', कांग्रेस प्रभारी की सांसद-विधायकों को खरी-खरी
MP Assembly Election: एमपी कांग्रेस प्रभारी जेपी अग्रवाल ने कहा कि जमीनी कार्यकर्ताओं को पीछे छोड़ देने से आज पार्टी की यह स्थिति हुई है. उन्होंने कार्यकर्ताओं को शॉल और श्रीफल देकर सम्मान भी किया.
MP Election 2023: जिन कार्यकर्ताओं के कंधों पर चढ़कर नेता सांसद या विधायक बने उन्हीं कार्यकर्ताओं को भुलाया जाता रहा है. जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से ही पार्टी कमजोर हो गई. यह खरी-खरी बात कांग्रेस (Congress) के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल (JP Agarwal) ने जबलपुर (Jabalpur) में पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक में कही है.
बैठक में उन्होंने वरिष्ठ नेताओं से जमीनी कार्यकर्ताओं को मजबूत बनाने की बात कही. इस दौरान पूर्व मंत्री और विधायक लखन घनघोरिया, पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा, विधायक संजय यादव, विधायक विनय सक्सेना और जबलपुर नगर अध्यक्ष एवं महापौर जगत बहादुर भी मौजूद थे.
'जमीनी कार्यकर्ताओं को पीछ छोड़ देने से हुआ पार्टी का ये हाल'
इस दौरान जेपी अग्रवाल ने जबलपुर के दिग्गज कांग्रेस नेताओं के सामने कार्यकर्ताओं का दर्द जाहिर किया और कहा कि जो हमारा सबसे मजबूत साथी गली में हमारे लिए झंडा उठाता था, उसका हाथ हमसे छूट गया. हम ऐसे ही नहीं गिरे, हम ऐसे ही कमजोर नहीं हुए, हमने उसके दर्द को नहीं नापा. जमीनी कार्यकर्ताओं को पीछे छोड़ देने से आज पार्टी की यह स्थिति हुई है.
अपनी जेब से खर्च करके पार्टी के लिए काम करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं का दर्द हमें समझना पड़ेगा और उनका हाथ पकड़कर ही आगे मंजिल मिलेगी. उन्होंने पार्टी के सांसदों-विधायकों को भी जमकर खरी-खोटी सुनाई.
ब्लॉक, मंडल और सेक्टर स्तर के कार्यकर्ताओ से की बातचीत
मुकुल वासनिक की जगह प्रभारी बनाए गए जेपी अग्रवाल ने जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया. विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों को देखने जबलपुर आये अग्रवाल ने
ब्लॉक, मंडल और सेक्टर स्तर के कार्यकर्ताओं से बातचीत की. इस मौके पर उन्होंने कार्यकर्ताओं को शॉल और श्रीफल देकर सम्मान भी किया.
जबलपुर से कोई विधायक शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल नहीं
यहां बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में जबलपुर में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला बराबरी का रहा. जबलपुर की 8 विधानसभा सीटों में से दोनों पार्टियों के हिस्से में आधी-आधी सीटें आई थीं. जब कमलनाथ मुख्यमंत्री बने हुए तो उन्होंने जबलपुर जिले से 2 विधायकों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया जबकि शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्रिमंडल में जबलपुर से किसी विधायक को जगह नहीं मिली.
जबलपुर का सांसद बीजेपी से है तो महापौर का पद कांग्रेस के खाते में गया है. इस बराबरी के मुकाबले को अपने पक्ष में करने के लिए जेपी अग्रवाल ने नेताओं और कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र भी दिया.
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