Digvijaya Singh On CAA: 'देश में पहले से ही नागरिकता को लेकर कानून, CAA सिर्फ लोगों को...' दिग्विजय सिंह का केंद्र पर हमला
Citizenship Amendment Act: दिग्विजय सिंह कहा है कि भारत में पहले से ही देश की नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक कानून था. ऐसे में सीएए (CAA) की कोई जरूरत नहीं थी.
Digvijaya Singh On CAA Implementation: केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की अधिसूचना जारी होने के बाद लगातार सियासत हो रही है. अब इस मसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सरकार को घेरा है. दिग्विजय सिंह कहा है कि भारत में पहले से ही देश की नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक कानून था. ऐसे में सीएए की कोई जरूरत नहीं थी.
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि पुराने कानून में सभी धर्मों के लोगों के लिए नागरिकता हासिल करने का प्रावधान था और इसके तहत कई लोगों को नागरिकता भी दी गई थी. उन्होंने सरकार पर झूठ का आरोप लगाया और कहा कि सिर्फ लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है.
VIDEO | Here’s what Congress leader Digvijaya Singh (@digvijaya_28) said on CAA implementation.
— Press Trust of India (@PTI_News) March 16, 2024
“India already had a law for procuring the country’s citizenship. There was no need for CAA. The older law had provisions for gaining citizenship for people of all religions and many… pic.twitter.com/B2StlTEpIZ
दिग्विजय सिंह का CAA को लेकर केंद्र पर हमला
दिग्विजय सिंह ने कहा कि भारत की नागरिकता के लिए जब पहले से ही कानून बना हुआ है तो सीएए की क्या जरूरत थी. पुराने कानून से कई लोगों को नागरिकता दी गई है. उन्होंने सीएए के नियम बनाने में लगे लंबे वक्त को लेकर भी केंद्र पर सवाल खड़ा किया. दिग्विजय सिंह ने कहा कि ये 2019 में कानून लेकर आए थे तो इनको नियम बनाने में 5 साल क्यों लग गए.
नियम तो पहले से ही बने हुए थे. जो इंडियन सिटीजनशिप एक्ट के नियम थे उसी को इन्होंने अडॉप्ट किया है, इसमें नया क्या है. ये लोगों को सिर्फ मूर्ख बनाने के लिए है.
CAA को लेकर अधिसूचना जारी
गौरतलब है कि CAA को लेकर केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सोमवार (11 मार्च) को सीएए के नियमों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इस कानून के तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले 6 धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता प्रदान की जाएगी.
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