MP Politics: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh ) के युवाओं को रोजगार भले ही नहीं मिल रहा है, लेकिन उनकी जेब से सरकारी खजाना जमकर भरा जा रहा है. राज्य सरकार ने पिछले सात साल में बेरोजगारों से 424 करोड़ 36 लाख रुपये से ज्यादा प्रतियोगी परीक्षा की फीस के रूप में वसूली है. सरकार को घेरते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh)  ने कहा कि उनके दस साल के कार्यकाल में बेरोजगारों से कोई फीस नहीं ली जाती थी.


शिवराज सरकार ने  2012 से सभी तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं में शुल्क लगाना शुरू किया था. विधानसभा में बुधवार को सरकार की तरफ से बताया गया है कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के शुल्क के रूप में पिछले सात वर्षों में एक करोड़ 24 लाख से अधिक बेरोजगारों से 424 करोड़ 36 लाख रुपये से ज्यादा की राशि प्राप्त हुई है. इस दौरान करीब 106 भर्ती परीक्षा और प्रवेश परीक्षाएं कराई गईं. 


 दिग्विजय सिंह से कसा  तंज


कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के सवालों के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से विधानसभा में बताया गया कि वर्ष 2015 से 2022 तक आयोजित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में एक करोड़ 24 लाख 346 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. इसमें से 97 लाख 59 हजार 121 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए. किसी वजह से 26 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा में भाग नहीं लिया. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बेरोजगारों से प्रतियोगी परीक्षाओं में शुल्क लेने पर तंज कसा है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा "बीजेपी सरकार ने स्वीकार किया कि बेरोज गारों से उन्होंने 424 करोड़ वसूले, जबकि 1993-2003 कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में बेरोजगारों से कोई फिस नहीं ली जाती थी."






 


बता दें कि, मध्य  प्रदेश में मई 2022 से अगस्त 2022 तक बेरोजगारी दर 3.52 फीसदी रही. इनमें पुरुषों में बेरोजगारी दर 3.48 और महिलाओं में 4.91 फीसदी रही.सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी दर 11.53 फीसदी है. ये बेरोजगारी दर का देश में दूसरा सबसे कम आंकड़ा है.


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