Congress Leader Raja Pateriya: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ विवादित बयान देकर कांग्रेस नेता राजा पटेरिया (Raja Pateriya) फंसते हुए नजर आ रहे हैं. उनके खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार (MP BJP Government) के साथ बीजेपी नेताओं द्वारा भी एफआईआर दर्ज करवाई जा रही है. 


वैसे, कांग्रेस नेता राजा पटेरिया अपने तीखे और मुंहफट बयानों के चलते पहले भी सुर्खियों में रहे हैं. वह कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं, लेकिन उनकी पकड़ केंद्रीय नेतृत्व तक भी है.


'आदिवासियों को न्याय नहीं मिलेगा, तो उन्हें हथियार उठाने पड़ेंगे'
मध्य प्रदेश की राजनीति में राजा पटेरिया अभी बड़ा नाम हैं. भले ही उन्हें पिछले कई चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था. दमोह जिले की हटा विधानसभा सीट से कभी विधायक रहे राजा पटेरिया पहले भी विवादित बयान देते रहे हैं. फरवरी 2022 में ही उन्होंने दमोह के रैपुरा थाना प्रभारी को धमकाते हुए कहा था कि उत्पीड़न से तंग होकर बस्तर और आंध्र प्रदेश में नक्सलवाद पनप रहा है, क्योंकि आदिवासियों को न्याय नहीं मिलेगा, तो उन्हें मजबूरी में हथियार उठाने पड़ेंगे. 


राजा पटेरिया ने कहा था कि क्षेत्र के आदिवासी, जो साल 2005 के पहले से जंगल की जमीन पर काबिज हैं और खेती करके अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं, उन्हें हटाना गलत है. आदिवासी वनवासी दलित संघ के आंदोलन के दौरान उन्होंने कहा था कि इस तरह आदिवासियों को परेशान करना और उनकी महिलाओं से मारपीट करना कानूनन गलत है. संसद में कानून पारित किया गया है कि जो भी आदिवासी साल 2005 के पहले से वन भूमि पर काबिज हैं, उनको उसका पट्टा दिया जाएगा.


दिग्विजय सिंह के मंत्री मंडल में मिली थी बड़ी जिम्मेदारी
राजा पटेरिया अपनी पार्टी के नेताओं पर निशाना साधने से नहीं चूकते थे. फिलहाल, बीजेपी की टिकट पर विधायक संजय पाठक को राजा पटेरिया धनपशु की संज्ञा देते थे, जबकि उस वक्त वो कांग्रेस पार्टी में थे. पूर्व छात्र नेता तिलकराज यादव उनकी दबंगई और मुंहफट होने का एक और किस्सा याद करते हैं. साल 1989 में राजा पटेरिया लोक दल में थे. जब चौधरी देवीलाल जबलपुर आए, तो उन्होंने स्थानीय दिग्गज नेता नारायण प्रसाद चौधरी की शिकायत कर दी थी. तब देवीलाल ने कहा था, 'देश में एक ही चौधरी है और वह मैं हूं.'


राजा पटेरिया मध्य प्रदेश में छात्र राजनीति के दौर के नेता हैं. पहले वह लोकदल और फिर जनता दल में सक्रिय थे. बाद में उन्हें दिग्विजय सिंह कांग्रेस में ले आए. साल 1993 में हटा से विधायक रामकृष्ण कुसमरिया के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद रिक्त हुई सीट से चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बन गए. दोबारा विधानसभा चुनाव जीतने पर 1998 से 2003 तक दिग्विजय सिंह के मंत्री मंडल में उन्हें उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री बनाया गया. फिलहाल, वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हैं.


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