Shipra Tirth Yata: उज्जैन (Ujjain) में गंगा दशहरे (Ganga Dussehra) के अवसर पर हर साल शिप्रा तीर्थ यात्रा निकाली जाती है, जिसके जरिए नदी की परिक्रमा होती है. इस बार यात्रा निकाल रहे उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) को कांग्रेस ने चुनौती दी है. कांग्रेस के विधायक महेश परमार (Mahesh Parmar) ने सवाल चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत है तो वह नदी का जल ग्रहण करके दिखाएं.


उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी का महत्व पवित्र गंगा नदी से कम नहीं माना गया है. शिप्रा के तट पर 12 साल में एक बार सिंहस्थ का मेला भी लगता है. पिछले कई दशक से शिप्रा नदी बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीति का मुद्दा भी बनी हुई है. शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर कई बार बीजेपी और कांग्रेस सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए लेकिन शिप्रा का जल प्रदूषित होने से नहीं बचाया जा सका. बीजेपी और कांग्रेस के नेता शिप्रा की दशा को लेकर समय-समय पर सवाल भी उठाते हैं. गंगा दशहरे के अवसर पर जब शिवराज सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने हर साल की तरह इस बार भी शिप्रा तीर्थ परिक्रमा निकाली तो कांग्रेस के विधायक महेश परमार सवाल खड़े कर दिए.


आचमन के लायक नहीं है शिप्रा का जल
मोहन यादव ने कहा कि नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना के जरिए शिप्रा नदी का जल प्रवाहमान होने के दावे किए जाते रहे हैं. यह योजना पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूब गई. उन्होंने यह भी कहा कि शिप्रा नदी का जल आचमन करने योग्य नहीं है. यदि वे गलत बोल रहे हैं तो उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव जल ग्रहण करके दिखाएं. उधर, बीजेपी विधायक पारस जैन के मुताबिक कांग्रेस शुरू से ही धार्मिक आयोजनों पर निशाना साधती आई है. हमारी आस्था कोई दिखावा नहीं है, जो हम कांग्रेस के नेताओं को बुलाकर शिप्रा नदी के जल का आचमन करें. शिप्रा नदी केवल एक नदी नहीं बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है. कांग्रेस कार्यकाल में शिप्रा नदी के लिए कभी कोई योजना नहीं बनी, कांग्रेस शुरू से ही केवल आरोप-प्रत्यारोप लगाना जानती है.


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