Vivek Tankha on Bhopal BRTS: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीआरटीएस (Bus Rapid Transit System) कॉरिडोर को हटाने के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के फैसले पर राजनीति तेज हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने सरकार के इस फैसले का स्वागत तो किया है. इस दौरान उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि नौकरशाह के शौक ने यह जन असुविधा रची थी उसकी समयबद्ध तरीके से जांच की जाए. राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने कहा कि इसमें करोड़ों के पब्लिक फंड्स का वेस्टेज हुआ है. आपसे (सीएम मोहन यादव) उम्मीद है कि आप जांच के आदेश जरूर देंगे.


इस बीच जबलपुर में उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने भी बीआरटीएस कॉरिडोर पर बड़ा बयान दिया है. राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि "अगर बेहतरी के लिए किसी काम पर पुनर्विचार करना हो तो किया जा सकता है, इसमें कोई भी गंभीर बात नहीं है." उन्होंने कहा कि "अगर ऐसा लगता है कि बीआरटीएस कॉरिडोर से जनता को असुविधा हो रही है, तो उसे हटाया जा सकता है."


BRTS पर प्रदेश सरकार ने क्या कहा?
यहां बताते चले कि मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार (26 दिसंबर) को भोपाल की सड़कों से 'बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम' यानी BRTS हटाने का फैसला किया है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यहां मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में निर्वाचित प्रतिनिधियों की बैठक में फैसला लिया गया है कि भोपाल की सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए BRTS को हटाया जाएगा. सार्वजनिक परिवहन बसों के लिए समर्पित लेन निर्धारित करने के लिए BRTS को बनाया गया था.


दरअसल, BRTS को लगभग 15 साल पहले भोपाल में लागू किया गया था. घनी आबादी वाले इलाकों से होकर गुजरने वाले इसके एक बड़े हिस्से को पहले ही हटा दिया गया था. अब सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग पर सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया गया है कि बीआरटीएस को सभी सड़कों से हटा दिया जाना चाहिए.


विवेक तन्खा ने की जांच की मांग
राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा है कि, "बधाई हो सीएम मोहन यादव एक बहुत प्रतीक्षित निर्णय के लिए. बस एक टाइम बाउंड एंक्वायरी की जरूरत है. किन नौकरशाह के शौक ने यह जन असुविधा रची और किसको फायदा पहुंचाने के लिये किया. करोड़ों में पब्लिक फंड्स का वैस्टेज." उन्होंने आगे कहा कि "आप से उम्मीद है की आप जांच के आदेश जरूर देगें. यह कहानी इंदौर में भी रची गई. जन असुविधा के लिए मध्य प्रदेश के नौकरशाह जिम्मेदार हैं. यह एक प्रकार से जन पाप था."


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