Congress Reaction on Akshay Kanti Bam: इंदौर के कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस नेताओं ने उन्हें विश्वासघात की बड़ी कीमत चुकाने की चेतावनी दी है. इस पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने भी पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि विश्वासघात नेता नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी कर रही है.
इंदौर के कांग्रेस प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम ने अब बीजेपी का दामन थाम लिया है. सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें मोहन यादव सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सहित अन्य बीजेपी नेताओं और विधायकों के साथ सामने आई तो कांग्रेस में खलबली मच गई. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता और पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने सोशल मीडिया के माध्यम से अक्षय बम को चेतावनी दी है.
'गद्दार होने के संकेत पहले ही मिल गए थे'- कांग्रेस
केके मिश्रा ने कहा है कि गद्दारी और विश्वासघात की कीमत अक्षय कांति बम को भविष्य में चुकानी पड़ेगी. उन्होंने यह भी लिखा है कि अक्षय कांति बम के गद्दार होने के संकेत पहले ही कांग्रेस नेताओं से मिल गए थे, फिर भी पार्टी ने उन्हें एक मौका दिया था. प्रदेश कांग्रेस द्वारा अक्षय बम के समर्थन में लगातार प्रचार-प्रसार किया जा रहा था. हालांकि, अचानक उनके बीजेपी में शामिल होने से इंदौर में कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिर गया है.
धमकी देना और गुंडागर्दी करना कांग्रेस की पुरानी आदत- बीजेपी
कांग्रेस नेताओं की चेतावनी पर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी में गुंडागर्दी कोई नई बात नहीं है. कांग्रेस में बड़े नेताओं के सामने ही उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं नेता कई बार अनुशासनहीनता करते आए हैं. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि बीजेपी प्रदेश में सभी 29 सीट जीत रही है और कांग्रेस बौखलाहट के चलते बीजेपी में शामिल हो रहे नेताओं को धमकी दे रही है. उनकी धमकी का जवाब जनता मतदान के जरिए देगी.
कांग्रेस नेता विवेक तंखा ने अक्षय कांति बम के बीजेपी जॉइन करने पर नाराजगी जताई है. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए सवाल खड़ा किया कि अक्षय बम इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन वापस करके बीजेपी क्या सिद्ध करना चाहती है? कि वह वह विपक्षविहीन प्रजातंत्र इस देश में चाहती है? विपक्ष मुक्त भारत, सूरत और इंदौर के मतदाताओं के साथ घोर प्रजातांत्रिक अन्याय. चुनाव आयोग से हम क्या अपेक्षा कर सकते हैं?
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