Jabalpur News: जबलपुर हाई कोर्ट ने सहमति से हुए सेक्स को रेप मानने से किया इनकार, रद्द की एफआईआर
MP: हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा घटना की परिस्थितियों से पता चलता है कि यह दो वयस्कों के बीच सहमति से यौन संबंध बना था.
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Madhya pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (High Court) ने सहमति से किए गए सेक्स को बलात्कार मानने से इनकार कर दिया है. हाई कोर्ट ने विवाहित शिक्षिका द्वारा एक व्यक्ति पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए दर्ज कराई गई एफआईआर रद्द करने का आदेश भी दिया है. हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार के आरोपों को हटाने का आदेश दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि महिला ने आरोपी के साथ सहमति से यौन संबंध बनाए, जिसमें उसकी ओर से शादी का आश्वासन शामिल नहीं था. दोनों पहले से ही शादीशुदा हैं.
दरअसल, महाराष्ट्र के वर्धा निवासी कुणाल हरीश वासनिक ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में बताया कि, वह मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की निवासी महिला से वर्धा में एक विवाह समारोह में मिला था. इसके बाद दोनों फेसबुक पर चैटिंग करने लगे. दोस्ती आगे बढ़ी तो वे फोन पर बातचीत भी करने लगे. एक बार महिला ने उससे फोन पर बात करते हुए बताया कि उसका पति दो बच्चों समेत 2 जून 2021 को होने वाले पारिवारिक समारोह में उमरिया जा रहा है. वह 31 मई 2021 को उसके घर पहुंचा. इसके बाद उसने महिला की सहमति से सेक्स किया.
कोर्ट ने कहा दो व्यस्क लोगों के बीच सहमति से हुआ यौन संबंध
वहीं इसके बाद में 37 साल की विवाहित शिक्षिका ने उसके खिलाफ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए छिंदवाड़ा जिले के महिला थाने में तहरीर दी. यहां उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 376(2)(एन) के तहत मामला दर्ज किया गया. हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके द्वारा महिला को शादी का आश्वासन देने का कोई सवाल ही नहीं था, क्योंकि दोनों पहले से शादीशुदा थे. इतना ही नहीं महिला उससे पांच साल बड़ी है और वे अलग-अलग जातियों के हैं. हाई कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलों के बाद जस्टिस सुजॉय पॉल की एकल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि घटना की परिस्थितियों से पता चलता है कि यह दो वयस्कों के बीच सहमति से यौन संबंध बना था. उन्होंने याचिका का निराकरण करते हुए एफआईआर और निचली अदालत में अभियोजन की कार्यवाही को रद्द करने के आदेश दिए.
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