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Dindori PM awas yojana corruption news: पीएम आवास दिलाने के लिए रिश्वत के साथ-साथ मुर्गा तक ले गए अधिकारी, मकान की जगह बना दी झौपड़ी
डिंडौरी में पीएम आवास योजना के लाभार्थी छोटेलाल बैगा ने बताया कि पहली किश्त निकलते ही सरपंच को 5 हजार, दूसरी किश्त निकलने पर सचिव ने 5 हजार और तीसरी किश्त में से रोजगार सहायक को 3 हजार देना पड़ा.
Corruption in PM awas yojana in Dindori: अब तक आपने प्रधानमंत्री आवास योजना में घोटाले को लेकर कई तरह की ख़बरें पढ़ी या देखी होगी लेकिन आज हम जो ख़बर आपको बताने जा रहे हैं, उस जानकर आप चौंक जाएंगे. मामला मध्यप्र देश के डिंडौरी जिले का है. जहां के बैगा आदिवासी बाहुल्य गौरा कन्हारी गांव में पीएम आवास योजना के नाम पर एक दो नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक कच्चे और झोपड़ीनुमा मकान बना दिए गए हैं. आवास योजना के तहत बने इन मकानों में छत के नाम पर बल्लियों के सहारे खप्पर बिछाए गए हैं तो वहीं कुछ मकानों में सीमेंट और कंक्रीट की जगह पर मिट्टी का उपयोग किया गया है. एक मकान में तो छत के नाम पर सिर्फ घास-फूस और पत्ते ही नजर आ रहे हैं.
आवास योजना के लाभार्थियों का कहना है कि योजना का लाभ दिलाने के नाम पर सरपंच और सचिव से लेकर तमाम जिम्मेदारों ने मोटी रकम बतौर रिश्वत वसूले हैं. इतना ही नहीं पंचायत सचिव के द्वारा अधिकारियों को खुश करने के नाम पर लाभार्थियों से मुर्गा भी ऐंठ कर ले जाने की बात सामने आ रही है. डिंडौरी जिले के दौरे पर पहुंचे प्रभारी मंत्री मोहन यादव से जब गौरा कन्हारी ग्राम में बैगा आदिवासियों के पीएम आवास में हुए घोटाले को लेकर सवाल किया गया तो मंत्री मामले को गंभीरता से लेने के बजाय गोलमोल बातें कर आगे बढ़ गए. वहीं गड़बड़ी उजागर होने के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के परियोजना अधिकारी सी एस सिंह और इलाके के नायब तहसीलदार गिरीश धुलेकर जांच की बात कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.
सरपंच ने लिए 5 हजार रुपये
आवास योजना के लाभार्थी छोटेलाल बैगा ने बताया कि आवास योजना की पहली किश्त निकलते ही सरपंच को 5 हजार, दूसरी किश्त निकलने पर सचिव ने 5 हजार और तीसरी किश्त में से रोजगार सहायक को 3 हजार, फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारी को 1 हजार और पंचायत के ही एक कर्मचारी को 1 हजार रुपये की रिश्वत देनी पड़ी. इतना ही नहीं अधिकारियों को खुश करने के नाम पर पंचायत सचिव छोटेलाल से एक मुर्गा मांगकर भी ले गए, तब जाकर उसे आवास योजना की चारों किश्तें मिल पाई है.
पीएम आवास योजना से नाम काटने की मिली धमकी
छोटेलाल का कहना है कि वो छत वाला पक्का मकान बनाना चाहता था लेकिन मटेरियल की किल्लत और सरपंच सचिव के द्वारा आवास निर्माण में जल्दबाजी कराने के चक्कर में उसे मजबूरन कच्चा मकान बनाना पड़ गया. छोटेलाल का कहना है की जब वो पक्का मकान बनाने के लिए अड़ गया था तो सरपंच और सचिव आवास योजना से उसका नाम काटने के लिए धमका रहे थे. छोटेलाल के घर से कुछ पर बुध सिंह रहते हैं. बुध सिंह की पत्नी ललिया बाई ग्राम की सरपंच हैं लेकिन बुध सिंह और उनके सगे भाई प्रेम सिंह भी पीएम आवास योजना के लाभार्थी हैं. सरपंच पति बुध सिंह के आवास में भी छत के नाम पर खप्पर बिछे हुए हैं मगर उनके भाई प्रेम सिंह के आवास को बिना नींव के ही खड़ा कर दिया गया है. दीवार में सीमेंट-कंक्रीट की जगह लाल मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है और छत के नाम पर खप्पर बिछा दिया गया है.
दूसरे मकान का दिखाया गया फोटो
सरपंच पति बुध सिंह ने आवास योजना में हुई गड़बड़ी को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि किसी दूसरे पक्के मकानों की फोटो को दिखाकर आवास योजना के तहत बने कच्चे मकानों की किश्तें जारी कर दी गई हैं. बुध सिंह बताते हैं कि पंचायत सचिव ने उनके सगे भाई से 30 हजार रुपये रिश्वत लिए हैं. वहीं गौरा कन्हारी गांव में ही छोटे सिंह नाम के लाभार्थी के मकान की हालत और भी खराब है. भ्रष्टाचार के चलते पीएम आवास योजना के तहत स्वीकृत मकान की छत के लिए पैसे खत्म होने पर उसने घास-फूस और पेड़ के पत्तों से ही छप्पर बनाने को मजबूर होना पड़ा है.
जांच के बाद कार्रवाई करने का दिया जा आश्वासन
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में बड़ी लापरवाही उजागर होने के बाद इलाके के नायब तहसीलदार जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं. वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के जिला परियोजना अधिकारी सी एस सिंह का कहना है कि आवास योजना के तहत कबेलू बनाये जाने का प्रावधान तो है लेकिन दीवारें और फर्श पक्का होना चाहिए. परियोजना अधिकारी के दावों और जमीनी हकीकत में कितना फर्क है, इसका अंदाजा पीएम आवास योजना के तहत बने इन मकानों को देखकर बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है.
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