Damoh: रायसेन के बाद दमोह में सामने आया धर्मांतरण का मामला, NCPCR अध्यक्ष की शिकायत पर 10 के खिलाफ FIR दर्ज
प्रियंक कानूनगो के मुताबिक ईसाई मिशनरी की संस्थाओं में मासूम बच्चों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. उन्होंने कहा डिंडोरी से एक बच्चा यहां लाया गया है जिसे पादरी बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है.
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Madhya Pradesh News: भोपाल (Bhopal) के नजदीकी जिले रायसेन में दो दिन पहले घटे धर्म परिवर्तन के मामले के बाद अब दमोह (Damoh) में धर्मांतरण का मामला सामने आया है. यहां राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने ईसाई मिशनरी के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. एक दिन पहले रविवार को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अयध्क्ष प्रियंक कानूनगो दमोह जिले के दौरे पर आये थे. कानूनगो ने अपने दौरे की सूचना सिर्फ यहां के अफसरों को दी थी. वह यहां चल रहे कुछ बाल उपक्रमों का औचक निरिक्षण करना चाहते थे. अपने प्लान के मुताबिक कानूनगो ने दमोह में ईसाई मिशनरी द्वारा चलाए जा रहे अनाथ आश्रमों चिल्ड्रन हाउसेस का औचक निरिक्षण करना चाहा तो यहां खासा बवाल हो गया.
बाइक से पहुंचे हॉस्टल
आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के सदस्य ओमकार सिंह मरकाम के साथ कटनी बायपास स्थित एक हॉस्टल पहुंचे तो मेन गेट पर उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा. इनके साथ पुलिस के आला अधिकारियों के साथ प्रशासन के नुमाइंदे भी मौजूद थे लेकिन मेन गेट नहीं खुला. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो मामले की पड़ताल के लिए अपनी कार से नहीं बल्कि बाइक पर सवार होकर पहुंचे. कानूनगो हॉस्टल पहुंचे तो भडक़ गए. कानूनगो के मुताबिक इन ईसाई मिशनरी की संस्थाओं में मासूम बच्चों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. एक उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने कहा की सूबे के डिंडोरी जिले से एक बच्चा यहां लाया गया है जिसे पादरी बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है.
एफआईआर के लिए चार घंटे लंबा इंतजार
अपने निरीक्षण के बाद आयोग के अध्यक्ष कानूनगो जबलपुर नाका पुलिस चौकी पहुंचे जहां शिकायत दर्ज कराने के लिए घंटों बैठे रहे. पुलिस अफसरों ने उन्हें देहात थाना पुलिस में जाने के लिए कहा. वहीं देहात थाना में कानूनगो को ईसाई मिशनरी के लोगों के खिलाफ एफआईआर कराने के लिए करीब चार घंटे का लंबा इंतजार करना पड़ा तब कही जाकर प्राथमिकी दर्ज हो सकी. कानूनगो ने मीडिया से बात करते हुए प्रदेश के महिला बाल विकास विभाग को कटघरे में खड़ा किया. इनकी मानें तो आयोग अध्यक्ष के दमोह दौरे की जानकारी बस विभाग को थी लेकिन औचक निरिक्षण के पहले सम्बंधित संस्थाओं को सूचना देने वाला कोई और नहीं बल्कि विभाग के लोग ही थे. इसके बारे में उन्होंने कहा की उन्होंने खुद एक अफसर का मोबाइल फोन पकड़ा है.
आरोप बेबुनियाद
इस मामले में दमोह स्थित संस्था मिड इंडिया क्रिश्चियन मिशन हॉसल की प्राचार्य ट्रीजा मिस के मुताबिक धर्मांतरण जैसे आरोप बेबुनियाद है. इस हॉस्टल में किसी भी बच्चे को कोई पाबंदी नहीं जबकि हिन्दू और मुस्लिम बच्चे अपने धर्मों को मानते हुए पूजा पद्धति का उपयोग करते हैं. बाल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष के औचक निरिक्षण को लेकर जहां मेन गेट ना खोले जाने को लेकर सवाल किया गया तो प्राचार्य का कहना है की रविवार को बच्चे हॉस्टल से बाहर नहीं जाते हैं. वहीं सुरक्षा कारणों से गेट खोलने में देरी हुई.
10 लोगों के खिलाफ एफआईआर
दमोह एडिशनल एसपी शिवकुमार सिंह के अनुसार आयोग के अध्यक्ष की रिपोर्ट पर ईसाई मिशनरी के 10 लोगों के खिलाफ धारा 370 किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 42 और 75 मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 की धारा 03 और धारा 05 के तहत मामला दर्ज किया है. आयोग अध्यक्ष ने धर्मांतरण जैसे आरोप लगाए है जिनकी जांच की जा रही है.
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