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मध्य प्रदेश के इस गांव में अंतिम सफर भी हुआ कष्टदायी, नाले के पानी से गुजरकर निकालनी पड़ती है शवयात्रा
MP News: मध्य प्रदेश के दमोह के एक गांव में आधारभूत संरचनाओं की कमी से लोग जूझ रहे हैं. यहां एक नाला बारिश में भर जाता है और पानी हर तरफ फैल जाता है जिससे लोगों को दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं.
Bhopal News: मध्य प्रदेश में जनप्रतिनिधियों द्वारा विकास के तमाम दावे किए जाते हों लेकिन यह दावे हकीकत से कोसो दूर हैं. अब भी प्रदेश के कई गांव मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. एक ऐसा ही वीडियो दमोह (Damoh) जिले का वायरल हो रहा है, जिसमें अंतिम सफर भी कष्टदायी नजर आ रहा है. लोग जान जोखिम में डालकर पानी से भरे नाले से गुजरकर एक व्यक्ति की अंतिम यात्रा में जा रहे हैं.
मध्य प्रदेश के दमोह जिले के सिग्रामपुर के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं. पहले विधानसभा चुनाव और फिर बाद में लोकसभा चुनाव में जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों से वादा किया था कि गांव में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, लेकिन जनप्रतिनिधियों के यह वादे सिर्फ चुनावी वादे ही बनकर रह गए. ग्राम सिग्रामपुर में नाले के दूसरी तरफ श्मशाम घाट स्थित है. बारिश के दिनों में यह नाला ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बनता है. गांव में किसी घर में मौत हो जाने पर अंतिम यात्रा के लिए नाला पार कर श्मशाम घाट तक पहुंचना पड़ता है.
लोग गिरते पड़ते जाते हैं श्मशान घाट तक
शुक्रवार को गांव में एक परिवार में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. अंतिम यात्रा निकाली गई, अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल थे. इस दौरान लोग पानी से भरे नाले से निकले, इस दौरान अंतिम यात्रा में शामिल बुुजुर्ग गिरते-पड़ते हुए श्मशान घाट स्थल तक पहुंचे. बता दें यह गांव दमोह जबलपुर स्टेट हाइवे पर स्थित है.
इतिहास के पन्नों में अंकित है गांव का नाम
इतिहास के पन्नो पर इस कस्बे का नाम अंकित है. गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावत्ती की संग्राम स्थली यही सिग्रामपुर है, जहां प्रदेश और देश के नामी नेता महत्वपूर्ण पदों बैठे हैं. राजनेता और अफसर वर्षों से आ रहे हैं. वर्तमान में इस इलाके के विधायक धर्मेन्द्र लोधी प्रदेश सरकार के पर्यटन और संस्कृति मंत्री है, लेकिन सिग्रामपुर के लोग मरघट तक जाने के लिए महज रास्ते के लिए तरस रहे हैं.
8 से 10 महीने भरा रहता है नाला
दरअसल सिग्रामपुर बस्ती में रहने वाले लोग सालो सें इलाके के दो श्मशान घाटों का उपयोग करते हैं. इन मरघट तक पहुंचने के लिए जो रास्ता है उंस रास्ते पर एक नाला है. आम तौर पर सिर्फ गर्मी के दिनों में इस नाले का पानी कम होता है, जबकि आठ से दस महीने तक नाला बराबर भरा रहता है और जब बरसात हो तो नाले का पानी लबालब हो जाता है. इलाके के लोग भगवान से प्रार्थना करते रहते हैं कि किसी के यहां भी इन दिनों में कोई मौत न हो वरना शव के अंतिम संस्कार के लिए मरघट तक ले जाना बहुत कठिन है.
दशकों पुरानी है समस्या
सिग्रामपुर के लोगों के लिए ये समस्या नई नही है, बल्कि लोग दशकों से इस समस्या से जूझ रहे हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस स्थिति को वो संतरी से लेकर मंत्री तक सबको अवगत करा चुके हैं, लेकिन सालों बाद भी किसी ने इस मरघट मार्ग की तरफ ध्यान नहीं दिया और लोग ऐसे ही परेशान हो रहे हैं.
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