MP Patwari Recruitment 2023: अपनी अक्षमताओं से पार पाते हुए अब दिव्यांग छात्र बहाव के विपरित दिशा में बहते हुए नई ऊंचाइयों को छूने चले हैं.ये छात्र अब प्रशासनिक सेवाओं के लिए तैयारी कर रहे हैं.इंदौर से हुई शुरुवात से अब दिव्यांग बच्चे बनेंगे पटवारी. इसके लिए स्पेशल क्लास हुई शुरू दिव्यांग बच्चो को प्रतियोगिता परीक्षा के लिए किया जा रहा तैयार.यहां के आनंद मूकबधिर संस्थान में साइन लैंग्वेज के सहारे पढ़ाया जा रहा बच्चो को.


क्या कहना है मूकबधिर छात्रों का


दरअसल हम बात कर रहे हैं ऐसे दिव्यांग बच्चों की जो बोल सुन नहीं सकते लेकिन अपने आप को साबित करने की जुगत में लगे हुए सामान्य बच्चों के साथ टेबल पर  बैठ कर दिव्यांग बच्चें पढ़ाई कर रहे हैं.पटवारी चयन परीक्षा की तैयारी करवाई जा रही है स्पेशल क्लास में हाथो में पेन कॉपी लिए ब्लैक बोर्ड की ओर देख इशारों में समझ रहे हैं. इस क्लास में सामान्य बच्चो के साथ दिव्यांग बच्चे भी पढ़ाई कर रहे है.स्पेशल क्लास में पढ़ाने वाले एक आनंद मूकबधिर संस्थान के संचालक ज्ञानेंद्र पुरोहित तो वहीं दूसरी ओर प्रमोद यादव टीचर है. प्रमोद अपनी आम बोल चाल की तरह ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाते हैं तो दूसरी ओर साइन लैंग्वेज में बच्चो को ज्ञानेंद्र पुरोहित समझाते हुए दिखाई देते है. 


वही दिव्यांग बच्चे भी इन सवाल पर डिस्कस करते है. आम छात्रों के साथ बैठे ये खास छात्र जो अपना भविष्य गड़ने का सपना लेकर निकले है. अभी तक इन बच्चो को पता ही नहीं था की इनका भी आरक्षण होता है. कई बार पढ़ाई और जानकारी के अभाव में ये इन दिव्यांग बच्चो का हक मारा जा रहा था. लेकिन अब प्रदेश में पहली बार दिव्यांग बच्चे पटवारी बनने की तैयारी में जी तोड़ मेहनत कर रहे है.


क्या कहना है विशेशज्ञों का


जब इन छात्रों से साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट ज्ञानेंद्र पुरोहित के जरिए बात की तो उनके हौसले और जज्बे को सलाम करने को जी चाहा बात चीत में उन्होंने बताया कि आम के साथ खास बनना चाहते है.जैसे बोलने वाले लोग पटवारी बन रहे हैं, वैसे हम भी पटवारी बनना चाहते हैं.मूकबधिर सौम्य ने कहा की में भी पटवारी की तैयारी करने आया हु आज तक कोई मूकबधिर पटवारी नहीं बना इतिहास बनेंगा जब मेरे जैसे मूकबधिर पटवारी बन कर काम करेंगे.


आनंद मूक बघीर संस्था के संचालक ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया की मूक बधिर बच्चे भी वह सब पाना चाहते हैं जो साधारण बच्चे पाना चाहते हैं इनका आरक्षण होते हुए भी उस चीज तक यह बच्चे नहीं पहुंच पाते थे.उन्होंने बताया कि 25 बच्चे अभी कोचिंग में आ रहे हैं.कोशिश की जा रही है कि और भी बच्चे इसमें शामिल हों. अभी तक इन बच्चों को आरक्षण के बारे में जानकारी नहीं थी.अब यूट्यूब पर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो डालकर बच्चों को आरक्षण की जानकारी दी जा रही है. अगर आप इस एग्जाम में नहीं बैठोगे तो आपकी पोस्ट खाली रहेगी या किसी और को दे दी जाएगी.वीडियो देखने के बाद छात्रों में जागरूकता आई और अब वह कोचिंग पहुंच रहे हैं.अभी तक 80 दिव्यांग बच्चे कोचिंग के संपर्क में आए हैं. 


कितना आरक्षण मिलता है


पुरोहित ने बताया की अगर बात की जाए दिव्यांग आरक्षण की तो लगभग 300 सीटें आरक्षित रहती हैं.इसमें सभी तरह के दिव्यांग शामिल हैं.आनंद मूक बधिर संस्थान सभी तरह के दिव्यांग बच्चों के लिए कोचिंग की शुरुआत की है. आने वाले समय में और बच्चे जागरूक होंगे और इस तरह के कंपटीशन में अपनी सहभागिता दे सकेंगे.


बता दें कि चाणक्य कोचिंग क्लासेज के माध्यम से आनंद सर्विस सोसायटी के द्वारा मूक बाधिरों को ऑनलाइन पटवारी के लिए कोचिंग की व्यवस्था की गई है.ताकि मूकबधिर दिव्यांगजन पटवारी परीक्षा की तैयारी कर सकें.इस वर्ष दिव्यांग कोटे को भी पटवारी भर्ती में शामिल किया गया है.


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