MP Pensioners Dearness Relief: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पांच लाख पेंशनर्स का दर्द दो राज्य सरकारें नहीं समझ पा रही हैं. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार की बेरुखी के कारण मध्य प्रदेश के पांच लाख पेंशनर्स (Pensioners) को पांच प्रतिशत महंगाई राहत (Dearness Relief) देने का मामला उलझ गया है. मध्य प्रदेश सरकार पेंशनर्स की महंगाई राहत बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ को दो पत्र लिख चुकी है,लेकिन कोई जवाब न आने से निर्णय नहीं हो पा रहा है.


डीआर (DR) न बढ़ने से मध्य प्रदेश के पेंशनर्स को हर महीने 400 से लेकर 4000 रुपए तक का नुकसान हो रहा है.अगर दोनों राज्यों की बात करें तो इससे 6 लाख पेंशनर्स प्रभावित होते हैं. वहीं,वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा (Jagdish Deora) कह रहें है कि छत्तीसगढ़ सरकार से जबाव आते ही महंगाई राहत तुरंत दे दी जाएगी.



1998 में मध्य प्रदेश का विभाजन करके छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया था. इसके बाद दोनों राज्यों ने कर्मचारियों के हित में एक समझौता किया था. बंटवारे के दौरान विलीनीकरण की धारा 49 बनाई गई थी. इसके तहत दोनों राज्यों के पेंशनर्स के मामलों का निराकरण सहमति से किया जाता है. 23 साल से यह धारा रिटायर होने वाले कर्मचारियों के मामले में आड़े आ रही है क्योंकि पेंशनर्स की महंगाई राहत में दोनों राज्यों की सहमति जरूरी होती है. बताते हैं कि 2017 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह  ने धारा 49 को खत्म करने पर सहमति दी थी,लेकिन मध्य प्रदेश तैयार नहीं हुआ. इससे पेंशनर्स का पूरा बोझ मध्य प्रदेश पर आ जाता है.

 

मौजूदा कर्मचारियों को मिला एरियर, पेंशनर्स का अटका
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच उलझन के कारण पेंशनर को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है.साल 2000 के पेंशनर्स के 32 महीने के एरियर का भुगतान अभी तक अटका हुआ है. हाई कोर्ट से भी भुगतान के आदेश हो चुके हैं लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ. प्रत्येक पेंशनर को 1.50 से 2 लाख रुपए का भुगतान किया जाना है. इसी तरह सातवें वेतनमान का 27 महीने का एरियर भी दिया जाना है.

 

इस मामले में भी अभी तक दोनों राज्य कोई फैसला नहीं ले सके हैं. इस मामले में प्रत्येक पेंशनर के खाते में 3 से 4 लाख रुपए के बीच आना है. कार्यरत कर्मचारियों को ये दोनों ही मामलों में एरियर्स का भुगतान किया जा चुका हैं जबकि पेंशनर्स के मामले में दोनों राज्यों में सहमति न बनने से इनका निराकरण नहीं हो सका है.

 

पुराने कानूनों की समीक्षा जारी
एमपी-छत्तीसगढ़ पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीके बख्शी के मुताबिक 20 साल में राज्य सरकार पुराने और बेकार हो चुके कानूनों की समीक्षा कर रही है. हमारी मांग है कि सरकार इस मामले में भी कदम उठाए क्योंकि दोनों राज्यों के बीच अधिकांश मामलों का निराकरण हो चुका है. पेंशनर्स से संबंधित विलीनीकरण की धारा 49 महज औपचारिकता है.इसके हटने से दोनों राज्य अपने-अपने स्तर पर पेंशनर्स के मामलों का निराकरण कर सकेंगे.