Vijayadashami 2022: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा हिंदू धर्म का खास पर्व है. धूमधाम के साथ दशहरा को देश भर में मनाया जाता है. विजयादशमी पर रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन होता है, मगर मध्य प्रदेश में कई इलाके ऐसे हैं जहां रावण की विजयादशमी पर पूजा होती है. मंदसौर, विदिशा, राजगढ़ के अलावा भी कई इलाकों में रावण को विजयादशमी के मौके पर पूजा जाता है. आखिर इन इलाकों में रावण की पूजा क्यों होती है? इससे जुड़ी कहानियों से आपको अवगत करते हैं.


मध्य प्रदेश के कई जिलों में होती है रावण की पूजा


सबसे पहले बात मंदसौर की करते हैं. मंदसौर के रावण रूंदी गांव में हिंदू समुदाय का एक वर्ग नामदेव वैष्णव दशानन की पूजा करता है. समाज के लोग मंदोदरी को क्षेत्र की बेटी मानते हैं. इस वजह से रावण उनका दामाद हुआ. लोगों ने खानपुर क्षेत्र में लगभग डेढ़ दशक पहले 35 फुट ऊंची रावण की प्रतिमा बनवाई थी, तभी से प्रतिमा की पूजा होती आ रही है. 


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विजयदशमी पर श्रद्धालु रावण के करते हैं जयकारे


विदिशा जिले के एक गांव में भी विजयदशमी पर रावण की जय जयकार होती है. रावण ग्राम में ब्राह्मण जाति के उप वर्ग कान्यकुब्ज परिवारों का निवास है. यहां के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं और इसलिए रावण की पूजा करते हैं. रावण ग्राम में परमार काल का एक मंदिर है. मंदिर में रावण की लेटी हुई प्रतिमा है. गांव वालों का कहना है कि प्रतिमा को जब भी खड़ा करने की कोशिश की गई तब यहां कोई न कोई अनहोनी हुई. रावण की पूजा करने का कारण लोग उसका वंशज होना बताते हैं. गांव वाले रावण को ज्ञानी, वेदों का ज्ञाता और शिव भक्त भी मानते हैं. इसलिए उसकी पूजा की जाती है. 


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विदिशा जिले में एक ऐसा गांव है जहां मेघनाथ का चबूतरा है. गंजबासौदा के पास स्थित गांव को पलीता के नाम से पहचाना जाता है. पलीता गांव में एक चबूतरे पर स्तंभ है जिसे मेघनाथ का प्रतीक माना जाता है और विजयादशमी के मौके पर यहां विशेष पूजा होती है. गांव के लोगों की मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इस चबूतरे की पूजा जरूरी ह. इसी तरह राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी में भी रावण की पूजा की परंपरा वर्षों से चली आ रही है.