Ghadi Wale Baba: उज्जैन के 'घड़ी वाले बाबा', रात-दिन आती है टिक-टिक की आवाज, भक्तों ने किया चौंकाने वाला दावा
उज्जैन से 50 किलोमीटर दूर स्थित सगस भैरव मंदिर में घड़ी चढ़ाने की परंपरा है. यहां घड़ी बांधने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. उनकी मान्यता है कि घड़ी बांधने से मन्नत पूरी हो जाती है.
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MP News: घड़ी का काम केवल समय बताना ही नहीं है, बल्कि यदि घड़ी इस मंदिर में बांध दी जाए तो घड़ी आपका सही वक्त भी ला सकती है. यह बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि उज्जैन से 50 किलोमीटर दूर स्थित सगस भैरव मंदिर में घड़ी बांधने वाले भक्त कह रहे हैं. यहां घड़ी बांधने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और उनकी मान्यता है कि घड़ी बांधने से मन्नत पूरी हो जाती है.
भक्त वक्त बदलने की उम्मीद के साथ चढ़ाते हैं घड़ी
उज्जैन जिले में उन्हेल से महिदपर रोड के बीच पड़ने वाला गांव गुराडिया सांगा घड़ी वाले बाबा के नाम से भी मशहूर है. शिप्रा नदी के नजदीक स्थित इस गांव की प्रसिद्धि यहां के छोटे मंदिर की वजह से देश और दुनियाभर में मशहूर है. यहां स्थित सगस भैरव का मंदिर न सिर्फ इलाके के हजारों लोगों की आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु इस उम्मीद के साथ आते हैं कि यहां पर घड़ी चढ़ाने से उनका सही वक्त शुरू हो जाएगा. कई भक्तों की यह मान्यता भी है कि उनका वक्त यही से बदला है.
मंदिर के पास नहीं है घड़ी रखने की जगह
मंदिर के नजदीक के गांव के रहने वाले राधेश्याम चौधरी का कहना है कि वे पिछले कई सालों से लगातार मंदिर आ रहे हैं. यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु घड़ी चढ़ाने के लिए आते हैं, जिनकी मन्नत पूरी होती है, वे श्रद्धालु भी घड़ी चढ़ाते हैं, जबकि जो मन्नत लेकर आता है. वह भी घड़ी चढ़ाकर जाता है. इस तरह मंदिर में अभी तक लोग इतनी घड़ी चढ़ा चुके हैं कि यहां घड़ी रखने की जगह तक नहीं है, इसलिए लोग मंदिर के पेड़ पर घड़ी बांध कर चले जाते हैं.
दिन-रात टिक-टिक की आती है आवाज
यहां मंदिर गांव के से दूरी पर स्थित है. इसके बाद भी यहां घड़ियों की आवाज लगातार आती रहती है. जब लोग इस रास्ते से गुजरते हैं तो उन्हें दिन रात टिक-टिक की आवाज सुनाई देती है. श्रद्धालु अंकित के मुताबिक 1 दशक से ज्यादा वक्त से यहां पर मंदिर में घड़ियां चढ़ाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि इसके पीछे मान्यता से ज्यादा श्रद्धालुओं का विश्वास है.
चोर भी चढ़ाने आते हैं घड़ी
मंदिर के आसपास सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है. रात के वक्त यहां सन्नाटा पसर जाता है. इसके बावजूद इस मंदिर में चढ़ाई गई एक भी घड़ी इधर से उधर नहीं होती है. यहां पर चोर भी चोरी करने से घबराते हैं. इलाके के लोगों का कहना है कि एक बार घड़ी चोरी का प्रयास करने आए चोर को खुद घड़ी चढ़ाकर जाना पड़ा. इसके बाद से ही मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और भी बढ़ गई.
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