Dewas News: ईश्वर में आस्था हो तो पत्थर भी तैर जाता है. ऐसा ही कुछ देवास (Dewas) के नजदीक हाटपिपलिया क्षेत्र में भी देखने को मिलता है. जहां भक्त भगवान विष्णु की पाषाण प्रतिमा को पानी में तैरा देते हैं. भक्तों का प्रढ़ाण विश्वास और ईश्वर के प्रति आस्था ही है जो यहां पानी पर साढ़े सात किलो की प्रतिमा आसानी से तैर जाती है. एक वीडियो में दिख रहा है कि कैसे आराम से ये प्रतिमा जल में तैर रही है. दरअसल, देवास में भगवान नरसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा भमोरी नदी पर पूजा-अर्चना कर तीन बार तैराई गई.
यहां तीनों बार ही भगवान नरसिंह की साढ़े सात किलो की पाषाण प्रतिमा आसानी से तैर गई. हाटपीपलीया में डोल ग्यारस पर्व पर गार्ड ऑफ ऑनर और पुलिस बैंड की व्यवस्था भी की गई थी. वहीं नगर मे अखाड़े और डोल का पुष्प वर्षा कर मुस्लिम समाज व नगर वासियों द्वारा भव्य स्वागत किया गया. डोल ग्यारस पर्व के अवसर पर विधायक मनोज चौधरी ने नरसिंह घाट पर नाव का भी लोकार्पण किया. वहीं पुजारी गोपाल वैष्णव ने बताया कि भगवान नरसिंह कि पावन नगरी हाटपीपलीया में सन 1902 से नरसिंह घाट पर नरसिंह भगवान कि साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा तैराई जा रही है.
ये है मान्यता
पुजारी ने बताया कि पुर्वजों का कहना है कि मूर्ति तीन बार तैरती है, तो आगामी वर्ष अच्छा रहता है. अगर दो बार तैरती है, तो साल के आठ महीने और एक बार तैरती है तो साल के चार महीने अच्छे रहते हैं. नरसिंह मंदिर से डोल मे रखकर भगवान नरसिंह कि पाषाण प्रतिमा को लाया जाता है. यही नहीं जगह-जगह डोल की पूजा की जाती है. नगर वासियों द्वारा पुष्प वर्षा कर डोल और अखाड़े का स्वागत किया जाता है. यहां नरसिंह घाट भमोरी नदी पहुंच कर प्रतिमा तैराई जाती है. नगर सहित हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा के दर्शन करने हेतु आते हैं. वहीं इस दैरान प्रशासन कि भी कड़ी व्यवस्था रहती है.