Dhar News: मांगलिक कार्यों में सामूहिक नृत्य सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर देता है लेकिन मौत के बाद अर्थी उठाकर सामूहिक नृत्य करना अपने आप में चौंकाने वाली खबर है. खबर धार जिले के तिरला अंतर्गत ग्राम भुवादा की है. भुवादा निवासी जालिम सिंह की 90 वर्ष की उम्र में बीमारी के चलते मौत हो गई. इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा जश्न के रूप में निकाली गई. इस यात्रा में गांव के दर्जनों लोग शामिल हुए. अंतिम यात्रा का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.


मौत के बाद अर्थी उठाकर नृत्य की परंपरा


वीडियो में गांव के लोग सामूहिक रूप से अर्थी उठाकर नृत्य करते हुए देखे जा रहे हैं. गांव के राधेश्याम ने बताया कि आदिवासी समाज में जब अपनी उम्र पूरी कर बुजुर्ग अवस्था में किसी का निधन होता है तो इसी प्रकार झांझ और ढोल के साथ अंतिम यात्रा निकाली जाती है. इस अंतिम यात्रा में जश्न जैसा माहौल रहता है. मृत्यु स्थल पर पारिवारिक सदस्य भी शोक विलाप करने की वजह से जश्न के माहौल में डूबे रहते हैं और भगवान का शुक्र अदा करते हैं.


आदिवासी समुदाय के लिए सामान्य बात


जालिम सिंह की अंतिम यात्रा में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला. ग्रामीणों के मुताबिक उनके लिए ये सामान्य बात है. आदिवासी समुदाय में परंपरा का प्राचीन काल से ही निर्वहन किया जा रहा है. मध्यप्रदेश के जिले जैसे अलीराजपुर, धार, झाबुआ आदिवासी बाहुल्य हैं. यहां आदिवासी समुदाय में भी अलग-अलग परंपराएं निभाई जाती हैं. इनमें जन्म, मृत्यु से लेकर अन्य मांगलिक कार्यों को लेकर भी अलग-अलग रिवाज देखने को मिलती है. 


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