Dhirendra Krishna Shastri and Pandit Pradeep Mishra Katha: पूरे देश भर में इन दिनों मध्य प्रदेश दो कथा वाचकों का जबरदस्त बोलबाला है. दोनों ही कथा वाचकों की फैन फॉलोइंग लाखों में है और दोनों ही कथा वाचकों की कथा सुनने के लिए नेता-अभिनेता सहित लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इन दिनों दोनों ही कथा वाचकों की कथा मध्य प्रदेश में हो रही है. दोनों की कथा से लग रहा है कि मानो एमपी में धार्मिक कॉम्पिटिशन चल रहा है. पं. प्रदीप मिश्रा और  पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों ही कथा वाचकों की कथा में जबदस्त भीड़ उमड़ रही है.


जी हां... हम बात कर रहे हैं सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की और छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के संत पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की. सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा इन दिनों धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रही है. कथा का शुभारंभ चार अप्रैल से हुआ है, जबकि छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के संत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा राजधानी भोपाल के ही नजदीकी जिले विदिशा में हो रही है. विदिशा में कथा का शुभारंभ सात अप्रैल से हुआ है. दोनों ही कथा वाचकों की कथा को श्रवण करने के लिए लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. स्थिति यह है कि आयोजन समितियों द्वारा बनाए गए पंडाल ही अब छोटे पड़ने लगे हैं. 


विदिशा में छोटा पड़ा पंडाल
बता दें विदिशा में शुक्रवार से पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा का शुभारंभ किया गया है. कथा स्थल पर आयोजन समिति द्वारा लगभग 20 हजार श्रद्धालुओं के हिसाब से पंडाल का निर्माण कराया गया है लेकिन स्थिति यह है कि पहले ही दिन श्रद्धालुओं की संख्या 60 हजार के पार पहुंच गई. श्रद्धालुओं की बड़ी तादाद की वजह से आयोजन स्थल पर व्यवस्थाएं गड़बड़ाने लगीं. व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस को श्रद्धालुओं को पंडाल तक पहुंचने से पहले ही रोकना पड़ा. आलम यह था कि श्रद्धालुओं को सड़क किनारे बैठकर ही कथा का आनंद लेना पड़ा. 


'हनुमान जी रखते हैं हमारी लाज'
कथा के पहले दिन कथा वाचक पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने व्यास पीठ से कहा कि विदिशा विद्धानों की नगरी है, लेकिन हम तो अनपढ़ गंवार हैं. जबरदस्ती हमें व्यास पीठ पर बैठा देते हो तो बैठना पड़ता है. व्यास पीठ पर बैठते हैं तो बोलना भी पड़ता है. बोलते हैं तो हम दिखते हैं, लेकिन दरअसल हमारी लाज तो हनुमान जी ही रखते हैं. पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने विदिशा का जिक्र करते हुए कहा कि यहां के लोगों के मस्तक पर जब तिलक देखता हूं तो बहुत अच्छा लगता है. यह बहुत प्राचीन हिन्दू नगर है. इतना ही नहीं, केवल हिन्दू ही नहीं यहां जैन धर्म के दसवें तीर्थकर भी जन्मे हैं. 


उज्जैन में दिखा सिंहस्थ सा नजारा
बता दें  कि सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहा है. कथा की शुरुआत चार अप्रैल से हुई है. कथा में प्रतिदिन ही श्रद्धालुओं की संख्या दिन दूनी और रात चौगुनी गति से बढ़ रही है. कथा स्थल के क्षेत्र में सिंहस्थ सा नजारा दिख रहा है. कथा स्थल पर अब तक पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण कर लिया है. आयोजन समिति के अनुसार सात दिवसीय शिवमहापुराण कथा के दौरान दस लाख लोगों के आने का अनुमान है. आयोजन समिति द्वारा अब तक लगाए गए सभी डोम व पंडाल छोटे पड़ते जा रहे हैं. कथा के चौथे दिन कथा का श्रवण कराते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं को सीख देते हुए कहा कि चार कदम चोर से, 14 कदम लतखोर से और 74 कदम चुगलखोर से दूर रहना चाहिए, इससे जीवन संवर जाएगा.


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