Bageshwar Dham: 'सुप्रीम कोर्ट की आज्ञा का पालन करना चाहिए, लेकिन...' नेम प्लेट विवाद पर क्या बोले धीरेंद्र शास्त्री?
Dhirendra Krishna Shastri: कावड़ यात्रा नेम प्लेट विवाद में बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का बयान सामने आया है. साथ ही उन्होंने कहा कि हमारा दरवाजा किसी भी पार्टी के लिए बंद नहीं है.
Nameplate Controversy: आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने नेम प्लेट विवाद पर अपनी बात रखी है. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है, हमें सुप्रीम कोर्ट की आज्ञा का पालन करना चाहिए, लेकिन अपनी पहचान बताना गलत नहीं है. पहचान को छिपाना गलत है.
साथ ही उन्होंने कहा कि हमारा दरवाजा किसी भी पार्टी के लिए बंद नहीं है. उन्होंने कहा कि मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए... क्योंकि साधु किसी पार्टी का नहीं होता, क्योंकि हनुमान जी किसी एक के नहीं हैं. वो सबके हैं. जो माने तो जयसियाराम.
उन्होंने कहा, ''यह देश राम का है. यहां के कण-कण में राम हैं. इस देश में रहने वाले इस्लाम को मानने वाले लोग भी बिना मीडिया के अपने दिल पर हाथ रखेंगे तो उनकी दिल की धड़कन में भी राम ही बसे हैं, क्योंकि यह देश राम का है. राम के राष्ट्र में रहकर अगर हम राम की चर्चा नहीं करेंगे तो क्या रावण की करेंगे. हनुमान जी का एक बहुत अच्छा काम है आप राम के समर्थक रहोगे तो वो तुम्हारे रक्षक बनेंगे और अगर रावण के पक्षधर रहोगे तो वो जैसे लंका में आग लगाए थे वैसे तुम्हारी जिंदगी में...''
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि सभी राजनेताओं से यही कहना है कि राजनीति और पार्टीवाद एक अलग बात है. उन्होंने कहा, ''जिस देश में डॉक्टर लापरवाह और दवाइयां महंगी होती हैं उस देश में भभूति का चमत्कार चलता है. उन्होंने कहा कि जब भी राजनेताओं को ब्रेन डिटॉक्स करना हो तो उनका स्वागत है''.
बता दें कि कावड़ यात्रा नेम प्लेट विवाद में सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश फिलहाल जारी रहेगा. खाने-पीने की दुकानों के सामने दुकानदारों का नाम लिखने की कोई अनिवार्यता नहीं होगी. हालांकि, कोर्ट ने साफ किया है कि जो दुकानदार अपना नाम लिखना चाहते हैं, वह लिख सकते हैं. कोर्ट ने सभी पक्षों को जवाब के लिए समय दिया है. 3 सप्ताह बाद आगे सुनवाई होगी.
क्या है मामला?
कांवड़ यात्रा मार्ग में खाने-पीने का सामान बेचने वाले दुकानदारों का नाम दुकान के बाहर लिखने का आदेश उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कई जिलों के प्रशासन ने जारी किया था. उनका कहना था शुद्ध और सात्विक आहार खाने वाले कांवड़ यात्रियों को भ्रम से बचाने के लिए यह आदेश जारी किया गया है, ताकि वह गलती से भी गलत भोजन न खा लें.
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