Bhopal News: मध्यप्रदेश के अंदर राजधानी भोपाल सहित विभिन्न जिलों में इस समय डीजल संकट गहराया हुआ है. जिसके चलते बोवनी करने वाले किसानों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. बीते कई दिनों से पेट्रोल टैंकों पर डीजल की भारी कमी देखी जा रही है. कई पेट्रोल पंपों की स्थिति तो यह है कि वहां डीजल पहुंच ही नहीं रहा है. जिसके कारण पेट्रोल पंप मालिक भी परेशानी का सामना कर रहे हैं.
ऑयल कंपनियां पूरा नहीं कर पा रही हैं ऑर्डर
इस संबंध में जब एबीपी संवाददाता ने भोपाल और उसके आसपास के कई पेट्रोल पंप अतुल मेहता, विनोद कबाड़ी, सजंय पालीवाल सहित संचालकों से चर्चा की तो उन्होंने एक ही बात बार-बार दोहराई ऑयल कंपनियों के पास हमारे आर्डर कई दिनों से पेंडिंग चल रहे हैं.समय पर डीजल की आपूर्ति कंपनियां नहीं कर पा रही है. जिसके चलते पेट्रोल पंप कई बार ड्राई स्थिति का सामना कर चुके हैं.
जिससे पेट्रोल पंप की साख भी खराब हो रही है. वहीं अब सबसे बड़ी समस्या किसानों के सामने खड़ी हो गई है क्योंकि मानसून के शुरुआती दौर में ही किसान बोवनी का कार्य प्रारंभ कर देते हैं जिसके लिए डीजल की आवश्यकता पड़ने वाली है. क्योंकि कई सारे ऐसे उपकरण और संसाधन है जो किसानी में बिना डीजल के संचालित नहीं किए जा सकते सबसे महत्वपूर्ण तो ट्रैक्टर का उपयोग ही है जिसका इस्तेमाल बिना डीजल के संभव कैसे हो सकेगा यह सोचने वाली बात है.
70 फीसदी पंप पर डीजल की कमी
किसान अभी से जब डीजल लेने के लिए पेट्रोल पंप पर पहुंच रहे हैं तो उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है क्योंकि 70 फ़ीसदी से अधिक पेट्रोल पंप ऐसे हैं जिन पर डीजल की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध ही नहीं है और 30% के आसपास पेट्रोल पंप ऐसे हैं जिनके पास डीजल का स्टॉक बहुत कम है. ऐसे समय में जहां त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनावों का दौर जारी है.
तो निर्वाचन आयोग के द्वारा पेट्रोल पंप मालिकों को डीजल का कुछ प्रतिशत रिजर्व रखने की बात भी कही गई है. याने की कुल मिलाकर चारों तरफ से किसानों को ही नुकसान होने जा रहा है.
किसानों के लिए खड़ी हुई बड़ी परेशानी
जो डीजल की मात्रा उपलब्ध है वह भी किसानों को नहीं दी जा सकेगी. क्योंकि चुनाव में इस्तेमाल होने वाले वाहनों के लिए शासन पहले ही पेट्रोल पंप मालिकों को डीजल की आपूर्ति करने के लिए बाध्य कर चुका है. ऐसी परिस्थिति में अन्नदाता की समस्या को सुलझाने का प्रयास ऑयल कंपनियां अभी तो करते हुए दिखाई नहीं दे रही है.
क्यों खड़ी हुई परेशानी
सूत्रों की माने तो कच्चे तेल के भाव में आने वाले उतार-चढ़ाव, अचानक से कम हुए डीजल के दाम, पेट्रोल पंप मालिकों और पेट्रोलियम कंपनी के बीच रेट को लेकर चल रहे घमासान के कारण यह समस्याएं उत्पन्न हो रही है. लेकिन आंतरिक और तकनीकी कारणों के चलते भुगतान आम नागरिकों, व्यवसायियों, व्यापारियों और विशेषकर किसान को करना पड़ रहा है.
इस संबंध में यदि मध्यप्रदेश के पेट्रोल पंप पर नजर डाली जाए तो मध्य प्रदेश के अंदर लगभग 4 से 5 हजार निजी और शासकीय ऑयल कंपनियों द्वारा आवंटित पेट्रोल पंप है. जिनमें से लगभग लगभग पेट्रोल पंप ऐसे हैं जिन पर डीजल की भारी किल्लत है अब सोचने वाली बात यही है कि बोवनी के सीजन में किसान को डीजल की आपूर्ति कैसे हो सकेगी.
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