मोहन भागवत के 'सच्ची स्वतंत्रता' वाले बयान पर भड़के दिग्विजय सिंह, 'यह भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद...'
Digvijaya Singh News: दिग्विजय सिंह ने सच्ची स्वतंत्रता वाले बयान को लेकर मोहन भागवत पर निशाना साधा है. उन्होंने भगत सिंह जैसे शहीदों का अनादर करने का आरोप लगाया है.

Digvijaya Singh On Mohan Bhagwat: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के 'सच्ची स्वतंत्रता' वाले बयान को लेकर उनसे गुरुवार को माफी मांगने की मांग की. भागवत ने सोमवार को कहा था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि 'प्रतिष्ठा द्वादशी' के रूप में मनाई जानी चाहिए क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को सच्ची स्वतंत्रता इसी दिन मिली.
दिग्विजय सिंह ने भागवत पर भगत सिंह जैसे शहीदों का अनादर करने का आरोप लगाया और कहा कि आरएसएस ने ब्रिटिश राज का समर्थन किया था. उन्होंने ने दावा किया कि आरएसएस नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जिन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी, बंगाल में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन सरकार में मंत्री रहे थे.
लाखों-करोड़ों लोगों की भावनाओं का अनादर- दिग्विजय सिंह
आरएसएस प्रमुख की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा, "उन्होंने लाखों-करोड़ों लोगों की भावनाओं का अनादर किया है. यह भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और गणेश शंकर विद्यार्थी का अपमान है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी." उन्होंने कहा, "मोहन भागवत ने स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है और उन्हें माफी मांगनी चाहिए."
कांग्रेस नेता ने दावा किया, "जब संविधान को अपनाया गया था, तब आरएसएस ने इसका खुलकर विरोध किया था. इसकी प्रतियां जला दी थीं. उन्हें यह याद नहीं है." स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और आम नागरिकों के योगदान को याद करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा, "यह उन स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और गोलियां और लाठियां खाईं." उन्होंने कहा कि आरएसएस के लोगों ने ब्रिटिश राज का समर्थन किया और मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सरकार बनाई.
मुस्लिम लीग की सरकार में मंत्री थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी- दिग्विजय सिंह
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंगाल के उपमुख्यमंत्री (वित्त मंत्री) थे और मुख्यमंत्री मुस्लिम लीग से थे." भागवत ने सोमवार को इंदौर में कहा था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जानी चाहिए क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश की सच्ची स्वतंत्रता इस दिन प्रतिष्ठित हुई थी.
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