'मुसलमानों के लिए जमानत एक अपवाद क्यों?', सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर दिग्विजय सिंह ने किया सवाल
Digvijaya Singh News: दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुसलमानों के लिए जमानत एक 'अपवाद' बन गया है. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उमर खालिद सहित जेल में बंद कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की.
Digvijaya Singh News: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को कहा कि जब पीड़ित पक्ष मुस्लिम होता है तो जमानत एक ‘अपवाद’ बन जाता है. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व शोध छात्र उमर खालिद सहित जेल में बंद कुछ कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग को लेकर उनके परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त की.
दिग्विजय सिंह ने सवाल किया, ‘‘जमानत नियम है और जेल अपवाद है, फिर क्या कारण है कि मुसलमानों के लिए जमानत एक अपवाद बन जाता है?’’ दिग्विजय सिंह हाल में सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे कि ‘जमानत नियम है और जेल एक अपवाद.’
'लोकतंत्र के योद्धा के रूप में देखा जाएगा'- दीपांकर भट्टाचार्य
वहीं, उमर खालिद के पिता एसक्यूआर इलियास ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) जैसे कड़े कानूनों पर चिंता जताई, जिसके तहत खालिद और अन्य को गिरफ्तार किया गया है. सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि जो कार्यकर्ता अभी भी जेलों में हैं, उन्हें एक दिन ‘लोकतंत्र के योद्धा’ के रूप में देखा जाएगा.
अभिनेत्री स्वरा भास्कर, स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और संजय राजौरा ने भी जेल में बंद कार्यकर्ताओं के प्रति एकजुटता व्यक्त की. शरजील इमाम, खालिद सैफी, उमर खालिद और अन्य पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 के दंगों के कथित तौर पर ‘मास्टरमाइंड’ होने के लिए आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है. इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे.
दिग्विजय सिंह का आरएसएस पर हमला
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) द्वारा 2019-20 में संशोधित नागरिकता कानून (CAA)-राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) विरोधी प्रदर्शनों से जुड़े कई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के चार साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित सामूहिक परिचर्चा में दिग्विजय सिंह ने RSS पर भी हमला बोला.
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘आरएसएस एक गैर पंजीकृत संस्था है, इसकी कोई सदस्यता नहीं है, कोई खाता नहीं है. अगर कोई पकड़ा जाता है, तो वे उसे अपना सदस्य मानने से इनकार कर देते हैं, जैसा कि उन्होंने नाथूराम गोडसे की गिरफ्तारी के समय किया था. वे व्यवस्था में हर जगह घुस चुके हैं. हमें गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है.’’
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